आदि-वासियों के मसीहा राजर्षी शाहूजी महाराज

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” आदि-वासियों’ के मसीहा ‘शाहू जी महाराज’ “
महाराष्ट्र राज्य में बसी हुई ‘फासेपारधी’ एक आदिवासी जमात है // समाज ने और सरकार ने भी इस जाति को ‘अपराधी जाति’ घोषित कर रखा था // इस जाति के लोग जंगलों में और पहाड़ों में रहते थे // ‘फासेपारधी’ जाति के लोग जंगलों में जंगली प्राणियों का शिकार करने में कुशल शिकारी थे // ‘शाहू जी महाराज’ भी जंगली प्राणियों का शिकार करते थे // शिकार करने एक दिन ‘शाहू जी महाराज’ जंगलों में गए थे / इस जाति के लोगों से ‘महाराज शाहू’ का परिचय हुआ // महाराज ने उनसे पूछा कि, ‘आप लोग गांवों में क्यों नहीं वसते / रहते ?? ” आदिवासियों ने जवाव में कहा कि, ” लोग हमें अपराधी समझते हैं / हमें , चोरी, डकैती आदि करने वाले समझ कर दंड (सजा ) देते हैं //” ‘शाहू जी महाराज’ ने फिर कहा, “फिर आप लोग काम क्यों नहीं करते ??” इस पर आदिवासियों ने जवाव में कहा कि, ” हमें चोर , डकैत समझने वाले लोग, हमें काम ही नहीं देते / इस लिए अपना तथा अपने बच्चों का पेट पालने के लिए हम, चोरी व् डकैती करते है /”

‘शाहू जी महाराज’ को इस आदिवासी जाति की समस्या की जढ़ समझ में आ गई // आगे जाकर ‘शाहू जी महाराज’ ने इन ‘फासेपारधी आदिवासी’ समाज के लोगों को गांवों में बसाया, तथा उनको काम दिलाया, …. और उनके रहने के लिए मकान बनबाये // इस तरह इन आदिवासी लोगों का ‘पुनर्वासन’ किया // ‘महाराज’ ने इस जाति के बच्चों की शिक्षा का प्रवंध भी किया // शिक्षा देकर नौकरियों में भी उनको भर्ती करवाया // ‘आदिवासी जातियों’ को समाज की प्रमुख धारा में लाने का एक ‘युग’ कार्य ‘ छत्रपति शाहूजी महाराज’ ने अपने ‘कोल्हापुर संस्थान’ में किया, जो एक एतिहासिक कार्य है.
-Narendra Mohan

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