सरकार ने इसे डीएम की बदनीयती बताकर एफआईआर पर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी और डीएम का तबादला कर दिया. सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, डीएम साहब झूठे हैं. उधर फर्रुखाबाद ज़िला अस्पताल के सभी डॉक्टर सीएमओ और सीएमएस के समर्थन में हड़ताल पर चले गए.
ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज अभी सुर्ख़ियों में था ही कि फर्रुखाबाद का राम मनोहर लोहिया ज़िला अस्पताल इस बदनामी में उससे टक्कर लेने लगा. 20 जुलाई से 21 अगस्त के बीच एक महीने में 49 बच्चों की मौत हो गई. नाराज़ डीएम रवींद्र कुमार ने इस पर मजिस्ट्रियल जांच बिठा दी.
डीएम के मांगने पर सीएमओ और ज़िला अस्पताल के सीएमएस ने मरने वेल बच्चों की भ्रामक रिपोर्ट दी. मरने वेल बच्चों की मां और रिश्तेदारों ने फोन पर बताया कि समय पर डॉक्टरों ने ऑक्सीजन की नली नहीं लगाई और कोई दवा भी नहीं दी. इससे स्पष्ट है कि अधिकतर बच्चों की मौत पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई. जबकी ऑक्सीजन की कमी की जानकारी डॉक्टरों को होनी चाहिए थी.