गुनाहगार होने की क्या जरुरत है ,बस मुसलमान होना ही काफी है!

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भंवर मेघवंशी
डॉ कफील जिन्होंने बीआरडी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से झुझते बच्चों को बचाने के लिए भागदौड़ की ,जिन पर कई लोगों ने नाज़ किया ,देश के भाईचारा पसंद नागरिकों ने उन्हें सलाम भेजा और जमकर उनकी प्रशंसा हुई ,उन्हें नायक का दर्जा दिया गया ,यह संघी भगवा जमात को कैसे बर्दाश्त होता ?

भक्त मण्डली यह कैसे हज़म करती कि उनके अराध्य योगी मोदी के रहते अलावा इस देश में कोई और हीरो बन जाये ,वो भी एक मुसलमान ? इसलिए भक्तमंडली .ट्रोल सेना ,साईबर आर्मी ,इन्टरनेट हिन्दू सब सक्रिय हुये और सारे सांस्कृतिक राष्ट्रवादी एक साथ शिकार पर निकल पड़े ,सबका शिकार एक ही था और वह था गोरखपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का बाल रोग विभाग का चिकित्सक डॉ कफील .

डॉ कफील को लेकर देश भर में हो रही प्रशंसात्मक टिप्पणियों से अस्पताल से लेकर सरकार बहादुर तक हर तरफ गहरी नाराजगी व्याप्त थी ,योगी जी के खिलाफ नारे लगते हो और स्वास्थ्य मंत्री के घर टमाटर फेंके जा रहे हो और एक मुल्ले की इतनी वाहवाही ,कैसा घोर कलयुग आ गया था ..इसको सुधारना जरुरी हो गया ..सेनाएं सन्नद थी ,डॉ कफील का शिकार तय हो चुका था ..

इतने में मुख्यमंत्री महोदय का आगमन हुआ ,64 बच्चों की मौत पर स्यापा करने या संवेदना जताने नहीं ,अपना मुख्यमंत्रित्व साबित करने वे गोरखपुर पंहुचे ,जोगी का अपने ही मठ आगमन हुआ ,साथ में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा को भी लेते पधारे ,जैसे दोनों मिलकर मृत बच्चों में प्राण फूंक देंगे ,मगर वही हुआ जिसकी आशंका थी ..


ऐसे संवेदनशील समय में भी अपनी नफरती भाषा नहीं भूले .डॉ कफील को निशाना बनाया और योगीजी के बोल फूटे – खुद ही संकट पैदा किया ,फिर हीरो बनते हो ? दिन में 21 सिलेंडर चाहिये ,तुम तीन ला कर हीरो बन रहे हो ?

ऐसे कैसे हीरो बनने देंगे ? सो अगले ही पल जीरो बना दिया ? बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के इन्सेफेलाईटिस वार्ड के इंचार्ज पद से हटा दिया और सस्पेंड भी कर दिया . योगी जी के होते किसी और को हीरो बनने की क्या जरुरत है ?

शाबासी भी दे सकते थे ,मगर कैसे देते ? वर्षों का संचित विष वमन किये बगैर कैसे जी पाते वे ? इसलिए जहर उगल दिया ..फिर क्या था ,भक्त मंडल में हर्ष ध्वनि हुई और सम्पूर्ण आर्यावर्त में मौजूद योगी मोदी के सोशल मीडिया सैनिक टूट पड़े ,कुछ ही क्षण में डॉ कफील के नाम पर बदनामी की जितनी कालिख पोत सकते थे ,पोत दी गई ..

कहा गया कि निजी प्रेक्टिस चलाते है ..वाकई गंभीर अपराध है ,लेकिन क्या यह सिर्फ डॉ कफील ही करते है गोरखपुर में या कोई अन्य डॉ भी करता है ,बीआरडी के अन्य किसी भी डॉ की प्राईवेट प्रेक्टिस नही होगी शायद डॉ कफील के अलावा ?

कहा जा रहा है कि डॉ कफील सरकारी अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर चुरा कर अपने नर्सिंग होम ले जाते थे ,उस दिन वही सिलेंडर हड़बड़ी में वे लौटा रहे थे ? तो क्या उस वार्ड में सीधे सिलेंडर से ऑक्सीजन सप्लाई होती थी ?जानकर तो कह रहे है कि ऑक्सीजन की सप्लाई पाईप के ज़रिये थे ,सीधे सिलेंडर से नहीं .फिर भी मान लेते है कि डॉ कफील ऑक्सीजन सिलेंडर घर ले जाते रहे होंगे ? इसकी शिकायत भी हुई होगी ? उनको नोटिस भी मिले होंगे ? उनको इस अपराध को नहीं करने के लिए चेताया भी गया होगा ? कुछ तो हुआ ही होगा इससे पहले इस ऑक्सीजन चोर डॉ के खिलाफ ? नहीं हुआ ,ओके ,अस्पताल प्रशासन को भी शायद भक्तमंडली से ही पता चल पाया कि डॉ कफील की वजह से ऑक्सीजन की सप्लाई कम पड़ गई थी .

किसी को यह तथ्य बर्दाश्त नहीं है कि ऑक्सीजन सप्लायर पुष्पा सेल्स को 15 महीने से भुगतान नहीं दिया जा रहा था ,13 नोटिस और 1 क़ानूनी नोटिस के बावजूद उसका 63 लाख रुपया बकाया था ,जबकि बकाया की अधिकतम सीमा 10 लाख ही है ,लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मिश्रा जी अपनी पत्नी के ज़रिये 2 लाख मांग रहे थे रिश्वत में बिल क्लियर करने के लिये ,पुष्पा सेल्स का मालिक मनीष भंडारी नहीं देना चाहता था ,उसने अपने बकाया के लिये माननीय योगीजी को भी लिखा था ,मगर कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई थी सप्लाई रोक दी .

इस संकट की खबर सबको थी ,31 जुलाई 2017 को दैनिक हिंदुस्तान के गोरखपुर के संवाददाता मनोज सिंह ने तो बाकायदा खबर तक लिखी कि – बीआरडी में हो सकती है ऑक्सीजन सप्लाई ठप .बावजूद इसके भी प्रशासन नहीं चेता ,डॉ मिश्रा का दिल नहीं पसीजा ,वह बिलों पर कुंडली मारे बैठा रहा ,भुगतान नहीं किया और यह कत्लेआम होने दिया ,इसमें डॉ कफील की क्या भूमिका थी ,यह समझ से परे है ..


भक्तमण्डली चिल्ला रही है कि डॉ कफील और उसके भाई पर बलात्कार का आरोप है ,वह नायक नहीं खलनायक है ,बलात्कारी है ,उस जैसे घटिया इन्सान को हीरो मत बनाइये ,यह बात तो सही है कि डॉ पर एक युवती ने रेप का आरोप लगाते हुए केस दर्ज करवाया है ,मामला अदालत में गया और क्वेश हो गया है ,मेडिकल कौंसिल ने भी माना कि इस मामले से ऐसा कुछ भी सिद्ध नहीं हुआ कि डॉ कफील को अपराधी मानकर उनको प्रेक्टिस से रोक दिया जाये ,अदालत और मेडिकल की सर्वोच्च अथोरिटी भले ही डॉ कफील को अभी अपराधी नहीं ठहराती हो मगर भक्तों ने साबित कर दिया कि डॉ कफील रेप का गुनहगार इन्सान है .वे ही वकील ,उन्हीं की दलील और उन्हीं का फैसला ,उन्हीं के आरोप और वही सजा देने वाले है ,उन्हीं के हाथ में सब कुछ है ,वे डॉ कफील को हीरो से जीरो बना सकते है ..

डॉ कफील हो या डॉ हामिद अंसारी ,अब इस देश में मुसलमान होना ही गुनाहगार होना है ,बिना कोई अपराध किये भी वे अपराधी ही ठहराए जायेंगे ,मनुस्मृति में मलेच्छो और शूद्रों के लिए यही विधान है कि वे जन्मजात अपराधी होंगे ,उन्हें कोई अपराध करने की जरुरत नहीं है .भगवा राज में कोई मुसलमान डॉ हीरो के नाते प्रसिद्धी हासिल करे ,यह कैसे संभव है ,वे इसे सहन नहीं करेंगे ..

मीडिया अपने मूल स्वभाव पर लौट चुका है ,डॉ कफील का पद से निलम्बन तो बहुत छोटी सजा है ,अभी तो उनका और और और चरित्रहनन होगा ,जल्दी ही वे मोदी योगी की जान के दुश्मन ,सेकुलर कीड़ों के समर्थक ,पाकिस्तान परस्त देशद्रोही साबित किये जायेंगे.

डॉ कफील की इंसानियत पर सलाम भेजनेवालों ,अच्छा होता कि तुम चुप रहते ,डॉ कफील की उपेक्षा कर देते ,उसकी तरफ से मुंह फेर लेते ताकि एक इन्सान बेवजह नरभक्षी दक्षिणपंथी गिरोहों का शिकार होने से बच जाता ,वह अब निशाने पर है ,जल्दी ही उत्पीड़न की नई कहानियां सामने आयेगी ,अभी आयकर विभाग ,ख़ुफ़िया तंत्र और सीबीआई के श्वान बंधे हुये है ,जल्दी ही वे भी डॉ कफील के पीछे होंगे ,शायद हमने वह मुल्क बना लिया है जहाँ पर गुनाहगार होने की कोई जरुरत नहीं बची है ,बस मुसलमान होना ही काफी है.


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