मूलनिवासी ईद मुबारक का सिस्टिम, इस्लाम, अम्बिया से उलेमा तक के खिलाफ एक साजिश

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सोशल डायरी,
तमाम दुनिया जानती है इस्लाम और इस्लामिक शिक्षा किसी एक देश, इलाका या राज्य तक सिमित ना होकर सारी दुनिया के लिए है. भारत के कुछ मुसलमान इस्लाम, अम्बिया, सहाबा, अलिया-ए-किराम, के साथ साथ कुरआन के अगेंस्ट काम कर रहे है. यह इस्लाम के लिए नहीं बल्कि मुसलमानों के ईमान के लिए ख़तरा है जो आखिरत को नेस्तनाबूद कर रहा है. कुछ लोग दीन बचाओ दस्तूर बचाओ के नाम पर कुरआन के सूरत अत-तौबा आयत नंबर 32-33 के अगेंस्ट काम कर रहे है. दस्तूर बनाने वाला इंसान है हो सकता है दस्तूर खतरे में आ जाए, उसे बचाने के लिए हमें संघर्ष करना पड़े और ऐसा करने से इस्लाम किसीको नहीं रोकता. लेकिन जब के अल्लाह सुबहनउ तआला ने एक कुरआन के हिफाजत की और दीन को दुनिया पर ग़ालिब करने की जिम्मेदारी ली है तो इंसान की क्या औकात है उसे रोके. फिर यह मुल्ले जो अपना पैजामा खिसकने से नहीं बचा सकते वह दीन बचाने निकले है. यह कुरआन का खुल्लम-खल्ला उल्लंघन है.

ईद की मुबारकबाद में साजिश
ईद की ममुबारकबाद उम्मत-ए-मुहम्मदिया को दी जाती है, लेकिन भारत में कुछ साल से एक नया सिस्टिम निकला है. ईद की मुबारकबाद सिर्फ “मूलनिवासी” को दी जा रही है. मतलब साफ़ है, भारत के ख्वाजा अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह, हजरत टीपू सुलतान रहमतुल्लाह अलैह, हजरत औरंगजेब रहमतुल्लाह अलैह ऐसे कई औलिया-ए-किराम के साथ भारत के बाहर आये अम्बियाओं को जानबूझकर इग्नोर किये जाने की साजिश है. यह मुसलमानों के आखिरत के लिए ख़तरा है. कई दाढ़ी टोपी वालों को सोशल मेडी एवं बैनरों पर मूलनिवासी मुसलमानों को मुबारकबाद देते हुए देखा जाता है. जिन लोगो में डॉक्टर, वकील, इतिहासकार जैसे जाहिल भी शामिल है. जानकार मुसलमान इस विषय पर खामोश है और वह खुद भी इस साजिश में फंस चुके है. जाने-अनजाने में ईमान से बेदखल होने के कई साजिशों में फंस चुके है. और जो लोग दीन बचाओ का नारा लगा रहे है उनके गिरोह मुसलमानों की खुलेआम हात्याओं पर खामोश है. म्यानमार पर हो रहे नरसंहार पर खामोश है. तब सवाल यह उठाता है की क्या म्यानमार के मुसलमान दीनीं नहीं है ? क्या मोब लिंचिंग में मारे गए मुसलमान दीनी नहीं है ? क्या सिर्फ रोहित वेमुला ही दिनी था जो नेरल से दिल्ली तक सीना पिटते चले गए ? मुसलमानों को इसपर गौर करना जरुरी है.
जब भी कोई गैर-मुस्लिम ईद की मुबारकबाद देता है तो कहता है “देश के सभी मुसलमानों को ईद की शुभकामनाएं” इसका मतलब देश में मौजूद ज़िंदा मुरदा सभी मुसलमानों को” 
और इसके आगे मूलनिवासी शब्द लगाना भारत में मौजूद ज़िंदा या मुर्दा मुसलमानों को ईद की मुबारकबाद से महरूम रखना है. जिसमे ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती जैसी कई हस्तियाँ है जो अल्लाह के बर्गुजिदा बन्दे है.
फिरौनी दांव पेच समझे मसलमान

फिरौन किसी खुदा को नहीं मानता था, दुनिया का करता-धर्ता खुदको ही बताता था, उसके खिलाफ आवाज उठाने वाले मार दिए जाते थे या जलील किये जाते थे. जबतक के वो आवाज उठाना बंद ना कर दे. लोगो को लगता है के हमारे दुश्मन सिर्फ यहूदी है तो क्या फिरौन के वंशज हमारे दुश्मन नहीं हो सकते ? फिरौन के वंशज का कनेक्शन दज्जाल से है फिरौन के बाद से उन्होंने सबके साथ मिलकर छुपी साजिश रचने का अभियान चलाया जो सारी दुनिया में फैला है. उनका काम सिर्फ मुसलमानों को ईमान से भटकाना है खूनखराबा नहीं. खूनखराबे का काम यहूदियों का है इसलिए फिरौनी भी यहूदियों की तरफ ऊँगली बताकर मुसलमानों का दुश्मन बताते है. हमें भारत के उन गैर-मुस्लिमो से दोस्ती करने और उनके साथ न्याय करने से कोई ख़तरा नहीं जोमुसलमानों को दीन से भटकाने की साजिश नहीं करते.

वस्सलाम…..
अहेमद कुरैशी
संपादक


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