वर्णव्यवस्था : यहां सावर्णो को देखते हि सर पर उठाने पडते है चप्पल-जुते

Loading…


बुंदेलखंड के ललितपुर में दलित महिलाएं घर के बड़े-बुजुर्गों और ऊंची जातियों के लोगों को देखकर चप्पल सर और हाथ में ले लेती थी. ये परंपरा वर्षों से चली आ रही थी. बता दें कि रमेशरा गांव में सभी महिलाएं इस परंपरा को कई दशकों से निभा रही थीं. चप्पल पहनकर घर के बुजुर्गों और ऊंची जाति के लोगों के सामने नहीं जा सकते हैं. कोई भी मौसम हो इनके सामने से चप्पल हाथ में लेकर निकलना पड़ता था.


ललितपुर से सटे महरौनी, मड़ावरा ब्लाॅक और रमेशरा गांव की दलित महिलाएं बताती हैं कि 40 से 60 वर्ष की महिलाएं ससुराल में अपने से बड़े पुरुषों जैसे ससुर, ज्येष्ठ, नन्दोई या बड़ी जाति के लोगों के सामने चप्पल पहनकर नहीं जा सकती हैं. अपने ही घर के पुरुषों या ऊंची जाति के लोगों के सामने चप्पल पहनकर किसी महिला का जाना इज्जत और मर्यादा का विषय माना जाता है. सिर्फ महिला ही नहीं बल्कि पुरुष भी ऊंची जाति के सामने चप्पल पहनकर नहीं जाते हैं.
loading…

CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *