वो इस्लाम ही है जिसने ज़िंदा दफनाई जाती लडकियों, विश्व के अछूत इंसानों को इन्साफ दिलाया -Myriam Francois


सामाजिक न्याय, और समता ब्रिटिश अभिनेत्री के इस्लाम स्वीकार करने का कारण बना, ब्रिटेन की प्रसिद्ध अभिनेत्री मरियम फ़्रांसवा कराह ने बताया कि इस्लाम धर्म में सामाजिक न्याय के कारण मैंने इस्लाम धर्म स्वीकार किया।  मरियम फ़्रांसवा ने कहा कि मैं यह समझ गयी कि मैंने जो इस्लाम स्वीकार किया है उसका कारण मुसलमानों के व्यक्तित्व में सामाजिक न्याय की, रचना का बसना है। और उसी न्याय की महाशक्ति मेरे अस्तित्व का भाग भी बन गयी है। वर्ष 1990 में यह ब्रिटिश अभिनेत्री अपने विदित सौंदर्य के कारण सेन्स एडं सेन्सेब्लिटी नामक फ़िल्म में भूमिका अदा कर चुकी है। वर्तमान समय में पूर्ण रूप से इस्लामी हिजाब में, समाज में मुसलमान महिलाओं के स्थान के संबंध में होने वाले विभिन्न टेलीवीजन कार्यक्रमों में अपने मूल्यवान दृष्टिकोण बयान करती हैं। फ़ाक्स न्यूज़ टीवी चैनल द्वारा प्रसारित एक कार्यक्रम में  मरियम फ़्रांसवा ने कहा कि मेरे भीतर उत्पन्न होने वाले परिवर्तनों के कई कारक हैं।

उनमें से एक पैग़म्बरे इस्लाम सलल्लाहो अलैह व आलेही वसल्लम की पवित्र जीवनी के अध्ययन की ओर मेरा रूझहान था. दूसरा इस्लाम समता और स्वतंत्रता का प्रतिक है. इस्लाम ही है जिसके कारण अरब में अछूत और नीच माने जाने वाले हब्शी को कंधे से कंधा मिलाकर खडा होने का सन्मान दिया। इस्लाम ही है जो इंडिया के अछूत माने जाने वाले लोगो को समता के सन्देश से प्रेरित किया और उन लोगो ने इस्लाम का स्वीकार किया और असमानता वाले मज्हबो से किनारा किया.


मैं यह समझ गयी कि पैग़म्बरे इस्लाम इतिहास का ऐसा महान व्यक्तित्व हैं जिन्हें पूर्ण रूप से समझा ही नहीं जा सकता। पैग़म्बरे इस्लाम सलल्लाहो अलैह व आलेही वसल्लम के विचारों का अध्ययन करके मुझे ज्ञात हुआ कि वे मुस्लिम समाज में समानता और न्याय का प्रतीक हैं। इस्लाम धर्म स्वीकार करने वाली इस ब्रिटिश अभिनेत्री का कहना है कि ईश्वर न्याय को पसंद करता है और समस्त मुसलमानों को चाहिए कि अपने कर्मों को न्याय के सम्मान पर केन्द्रित करें। वह अपनी बात को जारी रखते हुए इस्लाम धर्म के कुछ आदेशों और नियमों की ओर संकेत करते हुए कहतीं हैं कि जिसने तुम्हारे साथ बुराई की है उसे क्षमा करना, जिसने तुम्हें छोड़ दिया है उससे मिलना, जिसने तुम्हारे साथ बुराई की है उसके लिए भलाई की कामना करना और सच्ची बात कहना चाहे वह तुम्हारे लिए हानिकारक ही सिद्ध क्यों न हो, इस्लाम धर्म के उल्लेखनीय नियम हैं।वर्तमान समय में मरियम फ़्रांसवा आक्सफ़ोर्ड इस्लामी विश्वविद्यालय की प्रतिनिधि हैं।
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