रिहाई मंच गौरी लंकेश की हत्या की निंदा करता है। भारतीय लोकतंत्र अपने क्रूरतम और खतरनाक दौर से गुजर रहा है। देश में सत्ता संरक्षण में हिंदुत्व की राजनीति पाली जा रही है। समझौता बम विस्फोट अभियुक्त कर्नल पुरोहित को जिस तरह से जमानत देकर फिर से सेना में सम्मान सहित भर्ती किया गया उससे ऐसे साम्प्रदायिक आततायियों का मनोबल बढ़ाया जा रहा है।
साम्प्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष करने वाली बैंगलोर की वरिष्ठ एक्टिविस्ट जर्नलिस्ट गौरी लंकेश की गोली मारकर की गई हत्या ने साफ कर दिया है कि अपने राजनीतिक और वैचारिक विरोधियों की हत्या कर बीजेपी उनकी आवाज़ को खत्म कर देना चाहती है.
गौरी लंकेश ने पहले भी अपनी जान के खतरे को लेकर आशंका व्यक्त की थी. बीजेपी एमपी प्रह्लाद जोशी ने पहले भी इनके खिलाफ मुकदमा किया था. दाभोलकर, पंसारे, कलबुर्गी की हत्या के बाद ये हत्या साबित करती है कि देश में लोकतांत्रिक आवाजों के लिए कोई जगह नहीं है.
मुहम्मद शुऐब
अध्यक्ष, रिहाई मंच