अमरनाथ : मुहम्मद सलीम ने बचाई 50 से अधिक बस में सवार यात्रियों की जान

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भारत प्रशासित कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में सोमवार को अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के कुछ वक्त पहले ही हम जम्मू कश्मीर के उप मुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह से बात कर रहे थे. हिज़बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर की बरसी की वजह से दो दिन यानी 7 और 8 जुलाई को रोक के बाद अमरनाथ यात्रा रविवार 9 जुलाई को ही शुरू हुई थी.

डा. निर्मल सिंह लगातार अमरनाथ यात्रा के लिए किए गए इंतज़ामों की तारीफ में जुटे थे. उनका ज़ोर सुरक्षा इंतज़ामों पर भी था. उनसे बातचीत करके हम निकले ही थे कि हमले की ख़बर आ गई. हम मौके पर पहुंचे. जहां देखा कि एक एसयूवी गाड़ी खड़ी है. जिसके शीशे पूरी टूटे हुए थे. तब तक घायलों को अनंतनाग के अस्पताल में दाखिल कराया जा चुका था. हमले का शिकार हुई बस में 56 यात्री सवार थे. इनमें से ज्यादातर गुजरात के यात्री थे. कुछ यात्री महाराष्ट्र के भी थे.


 

ये सभी यात्री अमरनाथ में दर्शन करने के बाद कुछ वक्त श्रीनगर रुके थे और वैष्णो देवी के लिए जा रहे थे. पुलिस का कहना था कि रात सात बजे के बाद हाईवे पर यात्रा करने की अनुमति नहीं है और ये बस नियम के विरुद्ध जा रही थी. हालांकि बस मालिक हर्ष ने हमें जानकारी दी कि उनकी बस उस रास्ते पर जा रही दूसरी बसों के साथ काफिले में थी. हमले में घायल हुए हर्ष ने बताया, “बस के पीछे के टायर में पंचर हुआ था. उसे बनाने में हम थोड़ा लेट हो गए.” हर्ष के मुताबिक हमला अचानक हुआ.

उन्होंने बताया, “मुझे हमला करने वाले पांच छह लोग दिखाई दिए. सब बहुत बेरहमी से फायरिंग कर रहे थे. किसी को पत्थर मार रहे थे. किसी को गोली मार रहे थे. मैंने ड्राइवर को कहा भाई गाड़ी भगा तू रोकना मत.” बस में सवार रहे यात्रियों ने ड्राइवर सलीम की सूझबूझ की तारीफ की. घायल यात्रियों का कहना था, “ड्राइवर ने दिमाग लगाया. बस नहीं रोकी और बस दौड़ाता गया. इसने कई लोगों की जान बचा दी.”

हमले में अपनी 63 साल की बहन को गंवाने वाली एक महिला यात्री ने बताया, “मेरी बहन मेरे पास बैठी थी. साथ ही हमारी तीसरी बहन भी बैठी थी. लेकिन गोली दरवाजे के पास बैठी बहन को लगी. वो मर गई. मुझे कुछ नहीं हुआ. हमारे पीछे बैठे एक व्यक्ति की भी तुरंत मौत हो गई.” हमले में अपने करीबियों को गंवाने वाले ग़म के साथ गुस्से में भी दिखे. घायलों और उनके परिजन से बातचीत के लिए अस्पताल में जुटे मीडियाकर्मियों पर भी उनका गुस्सा उतरा. इस बीच मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती भी अस्पताल पहुंची और घायलों का हालचाल जाना.


 
मुख्यमंत्री ने कहा, “मेरे पास इसकी निंदा करने के लिए शब्द नहीं हैं. मैं उम्मीद करती हूं कि हमारे सुरक्षाबल और पुलिस के लोग दोषियों को जल्दी से जल्दी पकड़ने तक वो चैन से नही बैठेंगे.” सुरक्षा इंतज़ामों में खामी के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, “ये बाद में जानने की बात है.” मुख्यमंत्री ने कहा कि हमला करने वालों ने कश्मीर के नाम पर बड़ा धब्बा लगाया है. उन्हें सज़ा दिलाना सरकार का काम होगा. श्रीनगर में मौजूद बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर के मुताबिक़ प्रशासन ने हमले में घायल हुए 19 लोगों के नाम जारी किए हैं.

घायल हुए लोगों के नाम

1- हसी बेन (50 वर्ष), 2- प्रवीण भाई (55 वर्ष), 3- लाली (65 वर्ष), 4- प्रकाश विजन (60 वर्ष) 5- रमेश भाई(45 वर्ष) 6- तीता भाई (55 वर्ष) 7- मुकेश (45 वर्ष) 8- मारी (35 वर्ष) 9- पानी भाई गोपाल (65 वर्ष) 10- हर्ष देसाई (30 वर्ष) 11- उजलिता विष्णु डोगरा (50 वर्ष) 12- विष्णु डोगरा (55 वर्ष) 13- बरती बेन (54 वर्ष) 14- बागी मुनी (50 वर्ष) 15- शीला नटवरलाल पाटील (60 वर्ष) 16- द्रक्षा (59 वर्ष) 17- छाया (60 वर्ष)18- कामनी (34 वर्ष) 19- राजेश पाटील (35 वर्ष)

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