योगी आदित्यनाथ के साथ रविशंकर (फाइल फोटो) |
बता दें कि श्री श्री रविशंकर इन दिनों बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद में मध्यस्थता कर रहे हैं। श्री श्री रविशंकर इस मुद्दे पर सभी पक्षकारों मुलाकात करने के लिए गुरुवार को अयोध्या गए हैं। इस पर वेदांती ने कहा कि श्री श्री रविशंकर मध्यस्ता करने वाले कौन होते हैं, उन्हें अपना एनजीओ चलाते रहना चाहिए। वेदांती ने कहा कि श्री श्री रविशंकर को विदेशी फंड को जमा करना चाहिए।
वहीं निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख और इस विवाद में एक पक्षकार महंत दिनेंद्र दास ने भी श्री श्री पर आरोप लगाया है। महंत ने कहा कि विवादिन जमीन से अपना दावा छोड़ने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से 20 करोड़ रुपए की डील हो रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से श्री श्री रविशंकर डील कर रहे हैं।
वहीं विश्व हिन्दू परिषद भी श्री श्री रविशंकर के मध्यस्थता करने के फैसले के खिलाफ है। विहिप ने बुधवार को कहा कि पुरातात्विक साक्ष्य मिलने के बाद राम जन्म भूमि को लेकर सुलह-समझौते की रट का अब कोई औचित्य नहीं है, न्यायालय साक्ष्य मांगता है, जो हिन्दुओं के पक्ष में है। फिर बातचीत कैसी और क्यों।
परिषद ने कहा कि श्री श्री रविशंकर देश के सम्मानित संत हैं और हम उनका सम्मान करते हैं। उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि समझौते के तमाम प्रयास पहले भी हुये ,अनेक प्रधान मंत्री, सरकारें और शंकराचार्य इसके लिए प्रयास करते रहे लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला।