बैठक में मुख्य रूप से अयोध्या विवाद पर आने वाले फैसले और नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा की गई. अरुंधती धुरू ने कहा कि मौजूदा समय में प्रशासन के लोगों पर यह बड़ी ज़िम्मेदारी है कि इस स्थिति में किसी भी तरह के तनाव को कैसे रोका जाए।
पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल आम जनता की निजता पर हमला है। एनआरसी को लेकर देश में डर का माहौल बनाया जा रहा है। ऐसी कोशिशों का जम कर विरोध किया जाएगा और देश को असम नहीं बनने दिया जायेगा।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि देश की मूल समस्याओं से आम जनता का ध्यान हटाकर आभासी मुद्दों की तरफ ले जाया जा रहा है। यह भारत की संवैधानिकता को खतरे में डालने के बराबर है। कई पीढ़ियों से देश में रह रहे लोगों को आखिर कैसे गैर भारतीय बताया जा सकता है।
मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने कहा कि हमें लोगों के बीच शांति और सद्भाव का सन्देश लेकर जाना चाहिए कि लोग धीरज धरें और अफवाहों से बचें।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि अभी जिस तरह आम जन को परेशान किया जा रहा है वह बहुत खतरनाक है। वोटर वैरीफिकेशन के बहाने लोगों का नाम मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश चल रही है। बीएलओ सभी जगह नहीं पहुंच रहे हैं और लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया की रिपोर्टिंग पर नज़र रखे जाने की ज़रूरत है। 2012 में प्रेस काउन्सिल आफ इंडिया द्वारा गठित शीतला सिंह कमीशन ने फैज़ाबाद सांप्रदायिक हिंसा में कई खबरिया माध्यमों को माहौल खराब करने की कोशिश का दोषी माना था।
सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल वर्मा ने कहा कि अयोध्या फैसले से पहले हमें सुप्रीम कोर्ट से मांग करनी चाहिए कि वह राज्यों को दिशा निर्देश जारी करे कि राज्य बिना भेदभाव के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
इसी कड़ी में सामाजिक कार्यकर्ता गुफरान सिद्दीकी का यह सुझाव भी सर्वसम्मति से पारित हुआ कि विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधि मंडल डीजीपी से मिले।