आधार कार्ड की वज़ह से खतरे में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम …..

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भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा टीबी के मरीज पाए जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2015 की रिपोर्ट में दुनिया के कुल 96 लाख टीबी के मरीज़ों में से 22 लाख अकेले भारत में थे। टीबी इंडिया की आधिकारिक साइट यह आंकड़ा विश्व में 104 लाख मरीज़ और भारत में 28 लाख बताती है। 2015 में टीबी से दुनिया में कुल मौतें हुईं 14 लाख जिसमे से 4.8 लाख भारत में हुईं, यहाँ यह समझना बहुत ज़रूरी कि विश्व का जो आंकड़ा है उसमे से अधिकतर बेहद गरीब देशों से है , इसलिए भारत में इतनी मौतें चिंताजनक बात है। यह रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारत में 40 % लोग टीबी के इन्फेक्शन में हैं। भारत में हर तीन मिनिट में एक आदमी और एक दिन में हज़ार मौतें टीबी की वज़ह से हो जाती है। टीबी से मरने वालों की यह संख्या इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि सरकार ऐसे फ़ैसले ले रही है जिससे इनकी संख्या में इज़ाफ़ा होगा।

जी हाँ, अब टीबी के इलाज़ के लिए सरकार को आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। अगर किसी के पास आधार कॉर्ड नहीं है तो वह अपना इलाज़ नहीं करवा सकता और ना ही केंद्र सरकार की टीबी निवारण संबंधी किसी भी योजना का लाभ उठा सकता है। जबकि आधार कॉर्ड की अनिवार्यता के संदर्भ में अब तक भी सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फ़ैसला नहीं आया है। पर सरकार ने क्रमिक रूप से लगभग सभी जगहों पर इसे अनिवार्य रूप से लागू कर दिया है। सरकार को हर जगह आधार कार्ड लागू करने की जल्दी क्यों है ?
 
1966 से चल रहे राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम से लेकर अब तक जबकि मल्टी ड्रग रेसिस्टेंस टीबी के इलाज़ के लिए बेडाकुलिन ड्रग का वितरण सरकार अपने निर्धारित केंद्रों से कर रही है, वहाँ डॉट्स पाने के लिए भी आधार कार्ड मरीज़ से अधिक महत्वपूर्ण है। बिना आधार कॉर्ड के अब सरकारी इलाज़ भी मयस्सर नहीं है। इलाज़ बाद में पहले आधार कार्ड दिखाओ।
आधार के बिना जीना मुमकिन नहीं अब, आधार का आधार समझिये…..
http://www.who.int/tb/country/data/profiles/en/
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