आयशा ने आज तक से बताया कि उसे बचपन से ही रस्सी कूदने का शौक था. स्कूल में उसके इस शौक को खेल के रूप में विकसित किया गया, तो उसने और भी ज्यादा तैयारी शुरू कर दी. बता दें कि आयशा एसकेवी नंबर 2 ब्लॉक वाई में 11वीं की स्टूडेंट हैं. वो कक्षा आठ से इस खेल में नेशनल खेल रही हैं.
आयशा के परिवार में उनकी मां रिहाना के अलावा वो चार बहनें और एक भाई है. उनकी एक बहन की शादी हो चुकी है और वो भाई बहनों में चौथे नंबर की हैं. आयशा ने कहा कि वो अपने देश के लिए कुछ करना चाहती हैं. साथ ही बहुत बनकर अपने परिवार को सम्मानपूर्ण जिंदगी देना चाहती हूं.
आयशा का कहना है कि उसके पिता शमीम अहमद उसे रोप स्किदपिंग का इंटरनेशनल प्लेयर बनाना चाहते हैं. इसलिए सबसे पहले वो अपने पापा का सपना पूरा करेंगी. इसके बाद उन्हें अपने कोच की तरह खिलाड़ी बनना है. वो कहती हैं कि और मेरा सपना है कि मैं अपने पैसों से अपनी छोटी बहनों को डॉक्टर बनाऊं. इसलिए मैं खेल के साथ-साथ पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देती हूं.
आयशा का परिवार मुस्तफाबाद के 90 गज के एक घर में रहता है. इस घर में आयशा के ताऊ और चाचा का परिवार भी रहता है. इस तरह एक परिवार के हिस्से सिर्फ तीस गज आते हैं. वो बताती हैं कि बचपन से उनके परिवार ने बहुत संघर्ष किया है. लेकिन उन्हें कभी कमी महसूस नहीं होने दी.
आयशा कक्षा आठ से स्कूल के साथ-साथ बाहर अपने कोच तरुण तिवारी से रोप स्किपिंग सीख रही हैं. वो बताती हैं कि बाहर कोचिंग में उनसे सिर्फ 500 रुपये फीस ली जाती है. उनके पेरेंट्स ने कभी भी इसके लिए मना नहीं किया.
आयशा कहती हैं कि इस देश में बेटियां खेल में भी आगे बढ़ रही हैं. मैं हिमादास को लेकर भी बहुत गर्व महसूस करती हूं. अगर लोग अपनी बेटियों को मौका दें तो वो किसी भी मायने में कम नहीं होतीं. मेरे घर में हम सब बहनों को पढ़ने और कुछ कर दिखाने के लिए प्रेरित किया जाता है, शायद ये ही वजह है कि मैं अपने देश के लिए कुछ कर पाई.