इस मंदिर में दी जाती है एक साथ ढाई लाख पशुओं की बलि, दखिये रोंगटे खड़े कर देने वाला विडियो

Loading…

नेपाल के प्रसिद्ध गढ़ीमाई मंदिर में लाखों श्रद्धालु एक समारोह के दौरान हज़ारों जानवरों की बलि चढ़ाएंगे. दक्षिणी नेपाल के बरियार में स्थित गढ़ीमाई देवी की मंदिर में हर पाँच साल बाद धार्मिक समारोह होता है. कहा जाता है कि दुनिया में सबसे ज़्यादा जानवरों की बलि इसी समारोह में दी जाती है.

गढ़ीमाई शक्ति की देवी मानी जाती है. समारोह के दौरान देवी को खुश रखने और मनोकामना पूरा करने के लिए ढाई लाख से भी ज़्यादा पशुओं की बलि दी जाएगी. मंदिर के एक पुजारी चंदन देव चौधरी कहते हैं, “देवी को ख़ून चाहिए. यदि किसी को कोई परेशानी होती है तब मैं मंदिर में किसी जानवर की बलि देता हूँ जिससे उस व्यक्ति की परेशानी दूर हो जाएगी.” दो दिनों तक चलने वाले इस समारोह में भारत से भी अनेक श्रद्धालु हिस्सा लेने पहुँचे हैं. परिवार के साथ बिहार से समारोह में हिस्सा लेने आए पहुँचे 60 वर्षीय सुरेश पाठक बलि देने के लिए अपने साथ एक बकरा भी ले गए हैं.

श्रद्धा और विश्वास की देवी
 देवी को ख़ून चाहिए. यदि किसी को कोई परेशानी होती है तब मैं मंदिर में किसी जानवर की बलि देता हूँ जिससे उस व्यक्ति की परेशानी दूर हो जाएगी

चंदन देव चौधरी, मंदिर के एक पुजारी

वे कहते हैं, “मैं गढ़ीमाई की पूजा करने आया हूँ. आदि काल से हमारा विश्वास और हमारी श्रद्धा देवी पर है.” समारोह के व्यवस्थापकों का मानना है कि क़रीब पाँच लाख लोग समारोह स्थल पर पहुँच चुके हैं. सुरेश पाठक की तरह ज़्यादातर लोग अपने साथ बलि देने के लिए जानवरों को लेकर पहुँचे हैं.

एक ऊँची दीवार के घेरे में हज़ारों भैसों को रखा गया है. हालांकि समारोह में ज़्यादातर बलि भैंस की दी जाती है लेकिन बकरे, मुर्गी, कबूतर और चूहों की भी बलि दी जाएगी. भैसों को जिस घेरे में रखा गया है उसकी देखभाल करने वाले एक पुलिस अधिकारी बिकेश अधिकारी कहते हैं, “सबसे पहले पाँच भैसों की बलि मंदिर में दी जाती है.” जानवरों की बलि देने के काम को अंजाम देने के लिए 250 स्थानीय लोगों को पारंपरिक खुखरी चाकू का लाइसेंस दिया गया है. बलि देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी है, जिसके लिए लोगों को 20 नेपाली रुपए देने पड़े हैं.

मंदिर के बाहर जानवरों के अधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने नारियल फोड़कर सांकेतिक रूप से बलि का विरोध किया. बलि प्रथा का विरोध करने वाले प्रमादा शाह का कहना है, “हम एक संदेश देना चाहते हैं. इस स्तर पर हम बस यही कर सकते हैं.” कार्यकर्ताओं ने समारोह के व्यवस्थापकों से बलि प्रथा को रोक देने की अपील की है. उनका कहना है कि यह बर्बरतापूर्ण है और हिंदू देवताओं को फूल और फल देकर भी ख़ुश किया जा सकता है. जबकि नेपाली अधिकारियों का कहना है कि बड़ी संख्या में जानवरों की बलि एक धार्मिक परंपरा है. (source)

loading…
CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop