कवाब, कोरमा और बिरयानी में उलझा मुसलमान -डॉo अबरार

अरे मुसलमानों सीएम योगी का जो यह बूचड़खाने बंद करवाने का फैसला है, वह तुम्हारे हक़ में है । क्यों यह दूसरी पार्टी के बहकावे में आकर विरोध कर रहे हो। 500 रूपए किलो का सालन डकार कर जो तुम पसर जाते थे उस पैसे से अब अपने बच्चों को पढ़ाओ, उन्हें काबिल बनाओ, जज, वकील, पत्रकार, डॉक्टर या इंजिनीअर बनाओ। मार्च में किसी अच्छे नए स्कूल में भर्ती करवादो उनकी। गोश्त नहीं खाओगे 5 साल तो मर नहीं जाओगे।

आज यह खबर आई कि टुंडा कवाब की दुकान 105 साल में पहली बार बंद रही। अरे अक़ल के मारों 105 सालों से टुंडे कवाब खाकर तुम कौनसे चाँद पर पहुँच गए थे, या कौनसे दुनिया में तरक्की के झंडे गाड़ दिये तुमने??? टुंडा कवाब न हुए छोटे भीम का लड्डू होगया जिसे खाकर तुममें महाशक्ति आजाती हो जैसे। कुछ आगे बढ़ो, बडा सोचो, कब तक कवाब, बिरयानी, कोरमा और पायों में ही पड़े रहोगें???



कुछ विधवा विलाप कर रहे हैं कि हमारे 45000 कसाई भाईयों की रोज़ी रोटी छीन ली। अरे मूर्खों 8 करोड़ की मुस्लिम आबादी वाले इस सूबे (राज्य) में 45000 की रोज़ी चली भी जाती है और तुम्हारे पैसे बचते हैं तो क्या बुराई है उन्हें दूसरे धंधें शुरू करने के लिए तुम पाव भर गोश्त की क़ीमत सौ सौ रूपया चंदा करलो, 800 करोड़ में इन 45000 के लिए कई राह खुल सकती है।




कुछ वक़्त मिला है सुधरने का तो सुधर जाओ… दूसरों को दोष देना बंद करो और अपने गिरेबान में झांको और देखों तुम्हारी बर्बादी के अफ़साने तुम्ही ने तो लिखे है… काली स्याही से, अब जानवरों का सुर्ख खून कुछ सालों तक मत बहाओ और अपना मुस्तक़बिल सुधारों…अब यह न करने लगना कि सरकार ने गोश्त बंद किया तो तुम मछलियों पर टूट पड़ो और अपने पैसे वहां लूटा कर आजाओ। चलो 3 दिन में जो पैसे बचे हैं न उनसे एक किताब खरीद लाओ रोबर्ट कियोस्की की ‘रिच डैड पुअर डैड’…अब यह मत कहने लगना कि हम तो इस अमेरिकी की किताब कभी न पढ़े, किसी मुसलमान राइटर की हो तो बताओ। तुम नहीं सुधरोगे भाई…
बड़ी गौर से सुन रहा था ज़माना दास्तान हमारी
हम ही सो गये कवाब-बिरयानी-कोरमा खाते खाते…
-डॉo अबरार




CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *