एक लडका और लडकी दोनो
आपस मे बहुत प्यार
करते थे
पर कुछ प्रोब्लम कि वजह से
लडकी की शादी कहीँ और हो
जाती है.
….
तो लडका क्या कहता है….
…
आज ‘दुल्हन’ के लाल जोडे मे,
उसे उसकी ‘सहेलियाँ’ ने सजाया
होगा,
•••
मेरी ‘जान’ के गोरे हाथो पर,
सखियाँ ने ‘मेंहन्दी’ को लगाया
होगा,
•••
बहुत गहरा चडे़गा ‘मेंहन्दी’ का
रंग,
उस ‘मेंहन्दी’ मे उसने मेरा ‘नाम’
छुपाया होगा,
•••
‘रह-रह’ कर रो पडेगी,
जब-जब उसको मेरा ‘ख्याल’
आया होगा,
•••
खुद को देखेगी जब ‘आईने’ मे,
तो ‘अक्स’ उसको मेरा भी ‘नजर’
आया होगा,
•••
लग रही होगी ‘बाला’ सी
सुन्दर
वो,
आज देखकर उसको ‘चाँद’ भी
शरमाया होगा ,
•••
आज मेरी ‘जान’ ने अपने ‘माँ-
बाप’
की इज्जत
को बचाया होगा,
उसने ‘बेटी’ होने का हर फर्ज
निभाया होगा,
•••
‘मजबूर’ होगी वो सबसे ज्यादा,
सोचता हुँ किस तरह ‘खुद’ को
समझाया होगा,
•••
अपने ‘हाथो’ से उसने,
हमारे ‘प्रेम’ के खतो को जलाया
होगाँ,
•••
खुद को ‘मजबूत’ बना कर उसने,
दिल से मेरी ‘यादो’ को
मिठाया होगा,
•••
‘भुखी’ होगी वो जानता हुँ मैं,
कुछ ना उस ‘पगली’ ने,
मेरे ‘बगैर’ खाया होगा,
•••
आपस मे बहुत प्यार
करते थे
पर कुछ प्रोब्लम कि वजह से
लडकी की शादी कहीँ और हो
जाती है.
….
तो लडका क्या कहता है….
…
आज ‘दुल्हन’ के लाल जोडे मे,
उसे उसकी ‘सहेलियाँ’ ने सजाया
होगा,
•••
मेरी ‘जान’ के गोरे हाथो पर,
सखियाँ ने ‘मेंहन्दी’ को लगाया
होगा,
•••
बहुत गहरा चडे़गा ‘मेंहन्दी’ का
रंग,
उस ‘मेंहन्दी’ मे उसने मेरा ‘नाम’
छुपाया होगा,
•••
‘रह-रह’ कर रो पडेगी,
जब-जब उसको मेरा ‘ख्याल’
आया होगा,
•••
खुद को देखेगी जब ‘आईने’ मे,
तो ‘अक्स’ उसको मेरा भी ‘नजर’
आया होगा,
•••
लग रही होगी ‘बाला’ सी
सुन्दर
वो,
आज देखकर उसको ‘चाँद’ भी
शरमाया होगा ,
•••
आज मेरी ‘जान’ ने अपने ‘माँ-
बाप’
की इज्जत
को बचाया होगा,
उसने ‘बेटी’ होने का हर फर्ज
निभाया होगा,
•••
‘मजबूर’ होगी वो सबसे ज्यादा,
सोचता हुँ किस तरह ‘खुद’ को
समझाया होगा,
•••
अपने ‘हाथो’ से उसने,
हमारे ‘प्रेम’ के खतो को जलाया
होगाँ,
•••
खुद को ‘मजबूत’ बना कर उसने,
दिल से मेरी ‘यादो’ को
मिठाया होगा,
•••
‘भुखी’ होगी वो जानता हुँ मैं,
कुछ ना उस ‘पगली’ ने,
मेरे ‘बगैर’ खाया होगा,
•••
कैसे सम्भाला होगा ‘खुद’ को,
जब उसको ‘फेरो’ के लिये बुलाया
होगा,
•••
काँपता होगा ‘जिस्म’ उसका,
हौले से ‘पँडित’ ने हाथ उसका
किसी और
को पकडाया होगा,
•••
मै तो मजबूर हुँ ‘पता’ है उसको,
आज खुद को भी ‘बेबस-सा’ उसने
पाया होगा,
•••
रो-रो के बुरा ‘हाल’ हो
जायेगा उसका,
जब वक्त उसकी ‘विदाई’ का
आया होगा,
•••
बडे प्यार से मेरी ‘जान’ को माँ-
बाप ने डोली में
बैठाया होगा
•••
रो पडेगी ‘आत्मा’ भी, ‘दिल
भी’,
चीखा और
चिल्लायाँ होगा
•••
आज अपने ‘माँ-बाप’ के लिये उसने
गला अपनी ‘खुशियों
का दबाया होगा……..
Ramkumar Sahu
CITY TIMES