रिहाई मंच नेता राजीव यादव और मोहम्मद आरिफ ने कहा कि घटना एक दिन में नहीं भड़की पिछली 15 अगस्त को भी जुलूस निकालकर तनाव पैदा करने की कोशिश की गई थी. जबकि बडडू नगर के जिस इलाके में इस तनाव को पैदा किया गया वो शहर की कोई मेन रोड नहीं बल्कि एक सकरी गली है. ऐसे में तिरंगा यात्रा सिर्फ बहाना है.
इस घटना पर उस दिन नियन्त्रण हो गया पर चंदन की मौत के बाद स्थानीय सांसद व भाजपा नेताओं के दबाव में प्रशासन ने प्रतिशोध के नाम पर साम्प्रदायिक तत्वों को लूट-पाट, आगजनी करने की खुली छूट दी. जहाँ मुस्लिम समुदाय के लोग एक-दुक्का रिहाइस या दुकानें थी वो इसकी चपेट में आई. वहीं बडडू नगर जहाँ से तनाव शुरू हुआ वहां हिंदू समुदाय के लोगों की रिहाइस, व्यवसायिक प्रतिष्ठान या धार्मिक स्थल सुरक्षित हैं. लेकिन मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्थलों को सांप्रदायिक तत्वों ने निशाने पर लिया. बिलराम गेट, नदरई गेट और सोरों गेट, तहसील रोड के आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक तत्वों ने आगजनी और तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया। गुलाबी नगर के बस स्टैंड के पीछे मुस्लिम मकानों में भी आगजनी की गयी. अमांपुर अड्डे और गंगेश्वर कॉलोनी में भी इसी तरह की घटनाएं हुई हैं।
जेएनएमसी अलीगढ़ में भर्ती अकरम सिद्दीक़ी के भाई अशरफ सिद्दीक़ी से मुलाक़ात कर उनका हालचाल और घटना की जानकारी ली गई.
अकरम सिद्दीक़ी लखीमपुर के रहने वाले हैं और कल वो लखीमपुर से अपनी ससुराल अलीगढ़ जा रहे थे जहाँ उनकी पत्नी जेएन एमसी हॉस्पिटल में डिलीवरी के लिए भर्ती थीं। अकरम अपनी गाड़ी से एक बच्ची के साथ कासगंज होते हुए अलीगढ़ आ रहे थे। कासगंज के पास दंगाईयों ने इनकी कार को घेर लिया और कार से बाहर खींचने लगे । उनके मना करने पर कार पर पथराव कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया और उनको बन्दूक सटा दी । इसके बाद कुछ लोगों ने उनको लाठी डंडो से मारना शुरु कर दिया। कार में बैठी लड़की के चीखने चिल्लाने और मन्नतें करने पर भी वो लोग नहीं रुके और अकरम को मारते रहे। इसके बाद उन्हें अधमरी हालात में छोड़ वे लोग वहां से चले गए। इसके बाद अकरम ने थोड़ी दूर ही पर मौजूद वर्दीधारी जवानों से मदद मांगी पर उन्होंने कोई भी मदद करने से इंकार कर दिया। तब अकरम ने अपने परिजनों को सूचित किया और खुद गाड़ी चलाकर आगे बढ़े उनके परिजनों ने एसएसपी अलीगढ़ से संपर्क कर मदद की गुहार लगाई. इसके बाद वहां उनको मदद पहुंचाई गई और अलीगढ़ लाया गया.
अलीगढ़ में जेएनएमसी हॉस्पिटल में चार घंटे के जटिल आपरेशन के बाद भी उनकी आँख डॉक्टर नहीं बचा पाए. फिलहाल अकरम जेएनएमसी में भर्ती हैं। उनकी पत्नी भी इसी हॉस्पिटल में भर्ती हैं। अकरम की पत्नी अनम ने एक बेटी को जन्म दिया है।