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केंद्र सरकार ने 25 मई को गौरक्षा पर पहले केंद्रीय कानून को नोटिफाई कर दिया. माने नए कानून का ऐलान कर दिया. इसके तहत पूरे देश में गाय को मारने के लिए नहीं बेचा जा सकेगा. माने वो कत्लखाने पर नहीं बेची जा सकेंगी. अगले तीन महीनों में ये देश-भर में लागू हो जाएगा.
अब तक गौरक्षा पर देश के अलग-अलग राज्यों के अपने कानून थे. इसके अलावा खेती के काम आने वाले जानवरों के लिए प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स एक्ट (1960) के नियम थे. अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कुछ नए नियम लागू किए हैं जो पूरे देश में लागू होंगे. ये नियम पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने पारित कराए थे. 18 मई 2017 को दवे का निधन हो गया था. नए नियमों की खासम-खास बातें ये रहींः
#1. देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से 50 किलोमीटर अंदर तक के इलाकों में जानवरों का बाज़ार नहीं लगाया जा सकेगा. गाय-बैल इन्हीं बाज़ारों में बेचे जाते हैं. ये नियम जानवरों की देश से बाहर होने वाली तस्करी को ध्यान में रखकर बनाया गया है. भारत से बड़ी संख्या में गाय-बैलों स्मगल होकर बांग्लादेश पहुंचते रहे हैं.
#2. इसी तरह राज्यों की सीमा से 25 किलोमीटर के अंदर तक भी पशु-बाज़ार नहीं लगाए जा सकेंगे. ये राज्यों के बीच होने वाली स्मगलिंग रोकने के लिए है. अब अगर किसी को जानवर राज्य की सीमा के पार ले जाने हुए तो राज्य सरकार के ‘नॉमिनी’ की अनुमति लेनी पड़ेगी.
#3. अब सारे पशु-बाज़ारों के लिए ज़िला पशु-बाज़ार कमिटी की इजाज़त ज़रूरी होगी. इस कमिटी का अध्यक्ष ज़िले का मैजिस्ट्रेट होगा. कमिटी में दो प्रतिनिधी राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एनिमल वेलफेयर ग्रुप के भी होंगे.
#4. पशु बाज़ार कैसे हों, इसके लिए भी 30 नियमों का ऐलान हुआ है. इनके मुताबिक पशु बाज़ारों में पानी, पंखे, रैम्प और डॉक्टर जैसी सुविधाओं का इंतज़ाम रखना होगा. बीमार जानवरों के लिए अलग से इंतज़ाम करना होगा.
#5. पशु-बाज़ार लाने-ले जाने के लिए आमतौर पर ट्रक काम में लाए जाते हैं. इनके लिए भी नियम बनाए गए हैं. अब एक वेटरनरी इंस्पेक्टर इस बात का ध्यान रखेगा कि जानवरों को ट्रक में सही तरह से चढ़ाया-उतारा गया है कि नहीं. ये वेटरनरी इंस्पेक्टर किसी जानवर को बेचने के लिए ‘अनफिट’ भी घोषित कर सकेगा.
#6. अब गाय-बैल बेचने से पहले काफी काग़ज़ी कार्यवाही करनी होगी. बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों को सबूत पेश करना होगा कि वो किसान हैं. इसके लिए ज़मीन के कागज़ात दिखाने होंगे.
#7. गाय खरीद की पांच रसीदें बनानी होंगी. ये अलग-अलग विभागों में जमा होंगी. एक राजस्व (रेवेन्यू) विभाग में देनी होगी, एक इलाके के पशु अस्पताल के डॉक्टर के पास जमा होगी और एक पशु-बाज़ार कमिटी के पास जमा होगी. बची दो रसीदों में से एक-एक बेचने वाले और खरीदने वाले के पास रहेगी.
#8. जिन जानवरों को सरकारी शेल्टर में रखा जाएगा उनके मालिकों को उनका खर्च उठाना होगा. एक जानवर के लिए ये फीस कितनी होगी ये राज्य सरकारें तय करेंगी और हर साल के 1 अप्रैल को इस फीस का ऐलान होगा. जो किसान ये फीस नहीं चुकाएंगे, ये फीस उनकी बाकी देनदारियों में जोड़ दी जाएगी.
संविधान के आर्टिकल 48 में डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी दिए हैं. माने वो उद्देश्य जिनकी तरफ सरकार को कदम बढ़ाने चाहिए. देश में गौहत्या बैन करना इन्हीं में से एक है. ये पहली बार है कि किसी सरकार ने पूरे देश के लिए इस तरह के नियमों का ऐलान किया हो. इस लिहाज़ से ये नए नियम खास हो जाते हैं. नीयम किस तरह लागू किए जाएंगे, ये फिलहाल सामने आना बाकी है. लेकिन इतना तय है कि नए नियमों से किसानों को काफी असुविधा होगी. भारत में कागज़ी बड़े धीरे सरकते हैं और सारे किसान इतने पढ़े-लिखे होते भी नहीं कि इतने कागज तैयार कर सकें.
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