मालेगांव ब्लास्ट केस में दो महीने पहले ही जमानत पर रिहा हुई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की लखनऊ के लोहिया संस्थान में ऑपरेशन हुआ है। साध्वी प्रज्ञा कैंसर रोग से पीड़ित हैं। उनकी सर्जरी की खबर पूरी तरह से गोपनीय रखी गई।
लखनऊ. मालेगांव ब्लास्ट केस में दो महीने पहले ही जमानत पर रिहा हुई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की लखनऊ के लोहिया संस्थान में ऑपरेशन हुआ है। साध्वी प्रज्ञा कैंसर रोग से पीड़ित हैं। उनकी सर्जरी की खबर पूरी तरह से गोपनीय रखी गई। इस दौरान उनके साथ बड़ी बहन, छोटी बहन-उनके पति, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के कुछ नेता मौजूद थे। जानकारी के मुताबिक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जुलाई में ही लखनऊ आ गई थीं लेकिन यह जानकारी पूरी तरह से सीक्रेट रखी गई थी। साध्वी प्रज्ञा के परिवार, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के कुछ नेताओं के अलावा इस बात की जानकरी किसी के पास नहीं थी। साध्वी प्रज्ञा की यह सर्जरी लगभग चार घंटे तक चली। लोहिया संस्थान के फेमस प्लास्टिक सर्जन डॉ. दारा सिंह राजपूत ने साध्वी प्रज्ञा की सर्जरी की। फिलहाल उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है।
खबरों के मुताबिक योगी सरकार में चिकित्या शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन तक को भी साध्वी प्रज्ञा की इस सर्जरी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, जिनके अधीन ही लखनऊ का लोहिया संस्थान भी आता है। साध्वी प्रज्ञा की सर्जरी के दौरान इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि किसी को भी इस बात की कानोकान खबर न लग पाए। साध्वी प्रज्ञा को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है। साध्वी प्रज्ञा साल 2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में पिछले 9 सालों से जेल में थीं।
मुम्बई हाईकोर्ट से मिली है जमानत
आपको बता दें कि साध्वी प्रज्ञा को इसी साल अप्रैल महीने में मुम्बई हाईकोर्ट से जमानत मिली है। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को कैंसर होने के आधार पर ही जमानत दी है। साल 2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट की जांच करने वाली एजेंसी एनआईए भी अपनी पहले की जांच रिपोर्ट में बड़ा बदलाव करते हुए साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दे चुकी है।
संगम पर कराया था मुंडन
आपको याद होगा 1 जुलाई को साध्वी प्रज्ञा ने इलाहाबाद के संगम पर अपना मुंडन कराकर केश दान किया था। इलाहाबाद के संगम पर भी साध्वी प्रज्ञा गुपचुप तरीके से पहुंची थीं और वहां उन्होंने अपना मुंडन कराकर केशदान की रस्म अदा की थी। इसके बाद साध्वी ने गंगा-यमुना के संगम में डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना कर खुद के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। उसके बाद साध्वी प्रज्ञा लखनऊ आ गई थीं। साध्वीं प्रज्ञा ने 10 साल पहले प्रयाग में ही संत से दीक्षा ग्रहण की थी। (पत्रिका से साभार)