हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि भारत में सभी चुनाव ईवीएम (Electronic Voting Machine) से कराए जाते हैं। लेकिन विवाद तब बढ़ता है जब चुनाव आते हैं और ईवीएम हैक करने का आरोप भाजपा पर लगता है। लेकिन वहीं जब चुनाव आयोग से इस मसले पर संज्ञान लेने के लिए कहा जाता है तो वह हमेशा ही चुप्पी साध लेता है।
यह एक गौर करने वाली बात है कि जिस देश की सरकार चुनने का जिम्मा चुनाव आयोग जनता के जरिये अपने ऊपर लेती है उसी से जब चुनाव में होने वाली गड़बड़ी के मामले सामने आते हैं तो वह कदम उठाने की बजाय चुप्पी साध लेता है। चुनाव आयोग को बताया गया है कि ईवीएम को हैक करके चुनाव को कैप्चर किया जा रहा है, वहीं चुनाव आयोग ने कहा कि इस मशीन को हैक नहीं किया जा सकता है।
जब भारत और दुनिया भर के लोगों ने इस मशीन को हैक करने के तरीके दिखा दिए उस समय भी चुनाव आयोग इस मशीन का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटा है और अपनी इस जिद्द के आगे देशहित में कोई फैसला नहीं ले रहा है। कभी कभी तो देश की जनता को ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग को अपना नाम बदलकर भाजपा जिताओ आयोग कर लेना चाहिए |
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को किया तलब
चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम मशीन को हैक करने के संदर्भ में जब लगाई गई याचिका पर सुनवाई की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब माँगा था। इस पूरे मामले पर चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग के वकील को नोटिस देते हुए बताया कि बसपा प्रमुख मायावती और तमाम दलों के लोगों ने इस विषय में याचिकाएं दाखिल की हुई हैं और वो सब दूसरी बेंच के पास भी पड़ी हुई हैं।
चुनाव आयोग ने दी यह सफाई
इस मामले में चुनाव आयोग ने कहा कि, उन पड़ी हुई याचिकाओं पर पहले ही नोटिस जा चुके हैं तो इस याचिका को भी उनके साथ ही लगा दिया जाये। इसके बाद याचिका लगाने वाले के वकील मनोहरलाल शर्मा ने चुनाव आयोग की बात का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने जो याचिका दी है वो उन सबसे अलग है और उनका मामला पूरी तरह से अलग है।
मनोहरलाल ने कहा कि चुनाव आयोग के वकील कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। वो सब याचिकाएं राजनैतिक दलों ने दी है और इस हिसाब से वो जनहित याचिकाएं नहीं हो सकती हैं। राजनैतिक दल जनहित याचिका नहीं दे सकता है।
इस पूरे मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सीधेतौर चुनाव आयोग को ही नोटिस जारी कर उसे 2 हफ्तों के अंदर जवाब देने की बात कही है। अगर चुनाव आयोग सही तरीके से जवाब नहीं दे पाता है तो शायद EVM पे प्रतिबन्ध भी लग सकता है, क्योंकि कोर्ट का फैसला सबसे बड़ा फैसला होता है, हालाँकि कोर्ट के अंतिम फैसले को भारत के राष्ट्रपति बदल सकते हैं |