क्या आप भी चाहते है न्याय के योद्धा जस्टिस कर्णन बने राष्ट्रपति ?

नई दिल्ली। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है। अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस कर बकायदा रामनाथ कोविंद को दलित प्रत्याशी बताते हुए कहा कि वह एक दलित पृष्ठभूमि से आते हैं और उन्होंने गरीबी से उठकर यह मुकाम हासिल किया है। अमित शाह के इस ऐलान के बाद देश में एक बहस चल पड़ी है। लोगों का कहना है कि रामनाथ कोविंद जाति से जरूर दलित होंगे लेकिन न तो उन्होंने दलितों के लिए कोई लड़ाई लड़ी है और न ही बाबासाहेब के मिशन को लेकर कोई काम किया है।

लोगों ने यह भी कहा कि रामनाथ कोविंद एक संघी व्यक्ति हैं जो संघ के इशारों पर ही चलते हैं। भाजपा ने रामनाथ कोविंद का नाम यूं ही नहीं बढ़ाया बल्कि उनका आरएसएस से जुड़ाव होना भी एक अहम बात है। उन्हें सिर्फ दलित होने की वजह से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनाया गया है बल्कि वह आरएसएस के एजेंडे पर भी फिट साबित होते हैं। यह तो जगजाहिर है कि आरएसएस का मुख्य एजेंडा देश से आरक्षण खत्म करना है और रामनाथ कोविंद भी इस एजेंडे पर काम कर चुके हैं।


मामला साल 2010 का है। भाजपा के ओबीसी नेता गोपीनाथ मुंडे ने महिला आरक्षण में ओबीसी महिलाओं को अलग आरक्षण देने की मांग उठाने की बात कही थी। कोविंद उस समय भाजपा के प्रवक्ता थे। तभी न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने कोविंद से ओबीसी महिला आरक्षण पर उनकी प्रतिक्रिया ली। तब उन्होंने साफ कहा था कि “हम आरक्षण में आरक्षण को स्वीकार नहीं करेंगे। 33 फीसदी महिला आरक्षण के भीतर अलग से आरक्षण को स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

अब सोशल मीडिया पर कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जज सी एस कर्णन को राष्ट्रपति बनाने की मांग उठने लगी है। लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि यदि सच में कोई पार्टी दलितों की हितैषी है तो उसे दलित समुदाय के लिए काम करने वाले और बाबासाहेब के दत्तक पुत्र जस्टिस कर्णन को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना चाहिए। आप भी पढ़िए क्या उठ रही है मांग-

प्रशांत कुमार लिखते हैं-
चाहे NDA के तरफ से रामनाथ कोविंद(दलित) हों
चाहे UPA के तरफ से मीरा कुमार(दलित) हों राष्ट्रपति के उम्मीदवार
ये दोनों ही दलितों के हितैषी नहीं होंगे क्योंकि इन्होंने न तो कभी दलितों के लड़ाई लड़ी है न ही बाबासाहेब के मिशन को लेकर काम किया है
ये दोनों ही अपनी अपनी पार्टियों के बंधुवा मजदूर हैं..
अगर वाकई कोई अपने आप को दलितों का हितेशी बताना चाहता है तो #जस्टिस_कर्णन_को उम्मीदवार बनवाये..
बाकी बाकी ऐसे दलितों के दलाल नेता कई हैं.. #जयभीम


सुनीता बौद्ध लिखती हैं-
दलित को ही राष्ट्रपति बनाना है तो जस्टिस कर्णन जैसे इंसान को राष्ट्रपति बनाने की हिम्मत दिखाओ?
कठपुतलेपन का रिवाज सुनिश्चित खत्म हो जायेगा।
षडयंत्र का दूसरा नाम ???

यशपाल गौतम लिखते हैं-
जस्टिस कर्णन जी को विपक्ष द्वारा राष्ट्रपति पद का दावेदार बनाना चाहिये……..
यदि विश्वास ना हो तो जनमत करा कर देख सकते हैं…..
लोगों में कर्णन साहब की छवि ईमानदार व्यक्तित्व की भी है…..

अहमद खान ने बहुजन समाज एकता पेज पर लिखा-
क्या UPA को जस्टिस कर्णन को अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनाना चाहिए ?
अपनी अपनी राय जरूर दीजिये!
जय भीम| जय भारत

दया शंकर राज लिखते हैं –
इतना दलित प्रेम था तो ” जस्टिस कर्णन” को राष्ट्रपति और “डॉ. भीमराव आंबेडकर” जी को राष्ट्रपिता बना दो…?

राजेश कुमार रवि लिखते हैं-
जस्टिस कर्णन से बेहतर राष्ट्रपति पद के लिए सुयोग्य दलित उम्मीदवार कोई और हो ही नहीं सकता…..
है हिम्मत इतनी बीजेपी में ?????
#न्याय_का_योद्धा

प्रतीक राव लिखते हैं-
जस्टिस कर्णन जी को विपक्ष द्वारा राष्ट्रपति पद का दावेदार बनाना चाहिये……..
यदि विश्वास ना हो तो जनमत करा कर देख सकते हैं…..
लोगों में कर्णन साहब की छवि ईमानदार व्यक्तित्व की भी है।

सैय्यद कुतुबुद्दीन लिखते हैं –
दलित को ही राष्ट्रपति बनाना है तो जस्टिस कर्णन जैसे इंसान को राष्ट्रपति बनाने की हिम्मत दिखाओ?
कठपुतली बैठाने से दलितों का उद्धार नहीं होगा। दलितों, पिछड़ों, शोषितों के उद्धार के लिए ब्राह्मड़वाद को खत्म करना होगा और भारत के संसाधनों में दलितों, पिछड़ों और शोषितों को उनका हक और हिस्सेदारी देनी होगी तभी सच में भारत में दलितों, पिछड़ों और शोषितों का विकास सुनिश्चित हो पाएगा वरना ये केवल ढोंग साबित होगा, केवल चुनाव फायदे और गणित के लिए दलितों, पिछड़ों और शोषितों का ऐसे ही इस्तेमाल होता रहेगा कठपुतली के रूप में जैसे आजतक होता रहा है।

सोमियो गिलानी लिखती हैं-

वैसे राष्ट्रपति पद के लायक़ जस्टिस कर्णन भी है?
आरएसएस को विचार करना चाहिए ?

 
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