उन्होंने कहा कि खुफिया कोर के अधिकारी पुरोहित के पुणे स्थित उनकी यूनिट में जाने की संभावना है। वह 2008 में मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तारी के पहले इसी यूनिट में काम कर रहे थे।
पुरोहित को समीपवर्ती नवी मुंबई की तलोजा जेल से रिहा किया गया। दो दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दी थी कि मामले की जांच कर रही विभिन्न एजेंसियों द्वारा दाखिल आरोपपत्रों में परस्पर विरोधाभास है
सूत्रों ने कहा कि सेना मुख्यालय सेवा से उनके निलंबन के बारे में अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही समीक्षा करेगा।
अपनी यूनिट में रहने के दौरान पुरोहित के उुपर तमाम प्रतिबंध रहेंगे जिसमें उनके यूनिट के भीतर आवाजाही पर भी प्रतिबंध शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि सेना मुख्यालय उच्चतम न्यायालय के आदेश का अध्ययन करेगा और उसके निष्कर्षों के अनुरूप यह तय करेगा कि क्या पुरोहित के सेवा से निलंबन के फैसले को वापस लिया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि कोर्ट आफ इंायरी की रिपोर्ट के बाद पुरोहित का वेतन एवं भाों को उनकी कुल तनख्वाह के 25 प्रतिशत पर सीमित कर दिया गया था। बाद में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के निर्देश के बाद इसे बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि 29 सितंबर 2008 में मालेगांव में हुए विस्फोटों में छह लोग मारे गये थे।
उच्चतम न्यायाल ने पुरोहित को जमानत नहीं देने के बंबई उच्च न्यायालय के 25 अप्रैल के निर्णय को खारिज कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें कुछ पाबंदिया लगाते हुए जमानत दी। (nbt)