ख्वाजा
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिशती रहमतुल्लाह अलैह की मज़ार पर भारत से हर धर्म के लोग आते हैं. ना सिर्फ हिंदू बल्कि अन्य धर्मों में भी उनपर श्रद्धा रखने वालों की अच्छी-खासी तादाद है. ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने अपने जीवनकाल में इंसानियत को सर्वोपरि रखने का ही आग्रह किया था. किसी को आहत ना करना, आपसी मुहब्बत को नष्ट न होने देना जैसी बातें उनके जीवन से सीखी जा सकती हैं. उनके 22वें वंशज सैयद जैनुल आबेदीन अली ख़ान वही बात कह रहे हैं, जो ख्वाजा होते तो संभवत: कहते. उनकी नीयत यकीनन दुरुस्त है. इसके लिए उनकी तारीफ़ तो की ही जानी चाहिए.
अजमेर शरीफ़ में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिशती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह पर पिछले 450 सालों से बड़ी देग में 1600 किलोग्राम और छोटी देग में 800 किलोग्राम खिचड़ी रोज़ पकायी जाती है। और इसमें ख़ास बात यह है की, इसके निचे जलाई जाने वाली आग भी इतकी कम होती है की उस आग में हम 5 किलो खाना नहीं पका सकते. लेकिन 1600 किलोग्राम शकाहाऋ खाना इस देग में कुछ ही मिनीटो में पक जाता है.
और हमारा मीडिया कह रहा है की 1100 किलोग्राम खिचड़ी बना कर बाबा रामदेव ने आज विश्व रिकार्ड बना दिया है। इसीलिए मैं कहता हूँ की भारतीय मीडिया मोदियाबिंद रोग से ग्रस्त है जिसे झूठ परोसने की आदत हो चुकी है और भक्तगण नमोनिया रोग से ग्रस्त हैं जो मीडिया के फैलाए गए झूठ पर आँख मूँद कर विश्वास कर लेते हैं.
हमारी मीडिया सच को छुपाने और फर्जियत को बढ़ावा देने में वैसे ही बहुत माहिर है, तिल का पहाड़ करना मीडिया के लिए बहुत आसान काम है. मीडिया ने 1600 किलो खिचड़ी के सामने बाबा रामदेव की 1100 किलो खिचड़ी को वर्ल्ड रिकॉर्ड से नवाजा है इसी से पता चलता है की, मीडिया की मानसिकता किस दिशा में कुच कर रही है, और लोगो में झूठ का प्रसार कर रही है. वैसे भी ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती रहमतुल्लाह अलैह की देग को मीडिया ने नहीं माना तो उसकी अहमियत कम नहीं हो जायेगी और ना ही ख्वाजा की देग किसी दलाल मीडिया की मोहताज है. हाँ मगर बाबा रामदेव मीडिया का जरुर मोहताज है, और मीडिया को उनकी तरफ से मुआवजा भी मिलता है.
अहेमद कुरैशी
रिहाई मंच, प्रदेशाध्यक्ष
CITY TIMES
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