सोशल डायरी स्टाफ
नफरत के इस दौर में सामाजिक एकता को पसंद करने वाले अनगिनत लोग है. लेकिन सोशल वेबसाइट का इस्तेमाल करने वाले अक्सर युवा भड़काऊ बयानों को ज्यादा तरजीह देते है, भड़काऊ बयानों को ज्यादा वायरल करते है. जब की भड़काऊ बयानों और खबरों से ज्यादा अमन वाली खबरों को ज्यादा फैलाना चाहिए. हमारा युवा वर्ग यह नहीं समझ पारहा. अल्प संख्य साप्रदायिक तत्वों के बयानों को खूब वायरल कर के उन्हें बहुसंख्य बनाने में उन युवाओं का योगदान भी है जो देश में समता चाहते है. और इसे भूल समझे, जूनून समझे, गुस्सा समझे या कुछ भी, नुक्सान तो समता पसंद लोगो का ही है. ऐसे कई हिन्दू है जो मुसलमानों की अच्छाईयों को बहुत ही शानदार तरीके से पेश करते है. और ऐसे कई मुस्लिम है जो गैर-मुस्लिमो की अच्छाईयों को खूब शानदार तरीके से पेश करते है. और आपको बता दे की समता को पसंद करने वाले बहुसंख्य है और सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले कम है. लेकिन जाने अनजाने में युवा साप्रदायिक बयानों को ज्यादा शेयर कर देते है. यह आने बहुत बुरी बात है. आईये देखते है पहले कट्टर मुस्लिम विरोधी रही बहन अनन्या गुप्ता अपने फेसबुक प्रोफाइल पर क्या लिखती है.
अनन्या गुप्ता
एक समय था जब मैं कट्टरपंथी पोस्ट करती थी मुस्लिम को मुल्ला सुवर आदि ही कहती थी लोग मुझे बेबाक और शेरनी कहते थे तब तक मेरी मुलाकात कुछ लोगो से नही हुई थी अब मै वेसे पोस्ट नही लिखती न गाली गलौज करती लोगो को लगता है डरने लगी हूँ
पर उन्हें ये नही पता कि ये डर नही बल्कि कुछ लोगो का असर है और वे लोग है
Akhtar Khan Sahely Shabana Khan सहेली नीलू खान
एक समय था जब मैं कट्टरपंथी पोस्ट करती थी मुस्लिम को मुल्ला सुवर आदि ही कहती थी लोग मुझे बेबाक और शेरनी कहते थे तब तक मेरी मुलाकात कुछ लोगो से नही हुई थी अब मै वेसे पोस्ट नही लिखती न गाली गलौज करती लोगो को लगता है डरने लगी हूँ
पर उन्हें ये नही पता कि ये डर नही बल्कि कुछ लोगो का असर है और वे लोग है
Akhtar Khan Sahely Shabana Khan सहेली नीलू खान
मैं डंके की चोट पर कह सकती हूं आप इनसे मिलने के बाद ये समझ जाएंगे हर मुस्लिम एक जैसा नही है सबको एक तराजू में तोलना गलत है मैंने जितनी इंसानियत इनमे देखी है उतनी कई हिन्दुओ में नही !!
अच्छे कामो को सरहाइये ताकि इन्हें आगे बढ़ने का हौसला मिले वाकई में तब क्या होगा जब इंसानियत नही बस नफरत ही होगी !!
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