जो खुद नफरत और हिंसा का उपासक हो उसकी संस्कृति का हिस्सा कैसे हो सकता है ताजमहल -समर राज

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और हिंदू धर्म के स्वघोषित रक्षक योगी आदित्यनाथ ने बिहार के दरभंगा में रैली के दौरान ताजमहल को अपनी संस्कृति का हिस्सा मानने से इनकार किया है। वह कहते हैं कि, पहले कोई भारतीय पदाधिकारी विदेश जाता था तो ताजमहल या किसी मीनार की आकृति भेंट स्वरूप देता था लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है तब से गीता भेंट की जाती है। क्योंकि ताजमहल और मीनार का भारतीय संस्कृति से लेना देना नहीं है ।
 
ख़ैर, योगी का कहना गलत भी नहीं है। ताजमहल भारतीय संस्कृति के वास्तविक स्वरूप का हिस्सा जरूर था। मगर योगी और मोदी के अगुवाई में संघ के शासन तले जैसी संस्कृति का प्रचार प्रसार हो रहा है वहां प्रेम के प्रतीक ताजमहल को महज एक इमारत के रूप में प्रस्तुत करके खुद को तसल्ली दी जा सकती है। अगर हो सके तो मुगल शासकों के किसी कुकृत्य को इस्लाम से जोड़ कर इस ताजमहल को नफ़रत का प्रतीक बना दिया जाए। तब जाकर यह संघ की संस्कृति का हिस्सा हो सकता है क्योंकि संघ और हिंदू युवा वाहिनी जैसे संगठनों की संस्कृति की बाग़ नफ़रत के बीज से ही उगाई गई है।
 
योगी जी मानसिक संकीर्णता तक ही रुक जाते तो ठीक था उन्होंने तो यह भी कहा कि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नरेंद्र मोदी को अपना आदर्श मानते हैं। यानी यह कहकर अपनी बौद्धिक संकीर्णता भी दिखाते हैं। अरे भाई बात पूरी गलत नहीं है। वह एक दूसरे को आदर्श मान सकते हैं लेकिन यह तो जान लो कि अमेरिका वाला ज्यादा जहरीला है तो गुरु का दर्जा उसे दो। और चेले के बारे में क्या ही कहना मितरों।
 
योग साधना में डूबे रहने का दिखावा करने वाले योगी शादी पर भी अपनी विशेषज्ञता जाहिर करते हैं, जिसमें उनकी योग्यता शून्य है।आरजेडी और जेडीयू गठबंधन को ‘बेमेल शादी’ करार देने वाले योगी का जोड़ा मिलाने में योगदान इतना है कि, स्कूल कॉलेज के दिनों में जब लड़के लड़कियों की जोडी बनने की पहली संभावना होती है तो भगवाधारी गुंडे एंटी रोमियो स्क्वाड के नाम पर सारी संभावनाएं खत्म कर देते हैं। साथ ही उन मासूम मन को जिंदगी भर ना भूलने वाला जख्म दे जाते हैं।
 
और हां योगी जी मोहब्बत आपकी संस्कृति का हिस्सा तब होती जब आप जहरीली बयानबाजी के ब्रांड अंबेसडर के तौर पर ना जाने जाते । स्कूल-कॉलेजों और पार्क में छुप-छुपकर मिलते प्रेमी जोड़ों के मन में आपके स्वघोषित दूतों के आ धमकने की आशंका ना लगी होती।
 
गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय पर अपनी पीठ थपथपाना बंद करके एक बार अपनी ही पार्टी में झांक लें। संगीत सोम जैसे न जाने कितने बीफ एक्सपोर्टर आपके इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं । और अगर यह सब सांप्रदायीकरण का हिस्सा नहीं है, अगर सच में आप जीव प्रेमी हैं तो जिस राज्य के आप मुख्यमंत्री हैं और जिस राज्य में खड़े होकर भाषण दे रहे थे, उन दोनों राज्यों के पशुपालन का इतिहास बताता है कि भैंस वहां घरों का अभिन्न हिस्सा हुआ करती हैं। पता नहीं रिपोर्ट पढ़ पाते हैं नहीं आप, फिर भी इतनी तो जानकारी होगी कि देश भर में उपलब्ध हो रहे दूध का सबसे बड़ा हिस्सा भैंस के जरिए आता है, गाय के नहीं।
 
यानी मानवीय संवेदना और दूध की उपयोगिता के आधार पर अगर आप गोहत्या के तार्किक स्पष्टीकरण देना चाह रहे हैं तो भैंस के साथ इतना भेदभाव क्यों है ? भैंस के ज़िक्र से याद आया कि, आपके सामने बीन बजाने का भी कोई असर नहीं होने वाला क्योंकि पूरा का पूरा एजेंडा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का है।
योगी शायद यह भूल रहे हैं कि, जिस राज्य में खड़े होकर इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, अभी पिछले साल ही ऐसी राजनीति को नकार कर बिहार ने संदेशा दे दिया है कि आपसी भाईचारे में ज़हर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
 
ख़ैर, आप ताजमहल की बात करें या फिर एंटी रोमियो स्क्वाड की, शब्द कुछ भी कहें इरादा सबको पता है। मन में भरे मनुवाद को लेकर आप संस्कृति की अपनी व्याख्या करते रहें, इतिहास का पुनर्लेखन करते रहें, और साथ ही साथ ट्रंप के आदर्श मोदी की आदर्श भक्तमण्डली जो धर्मांध हो चुकी है, उसे ठगते रहें।(लेखक के निजी विचार है, हमने बोलताहिन्दुस्तान डॉट कॉम से लिए है)
CITY TIMES

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