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पिछले लगभग एक साल से तीन तलाक का मुद्दा मुस्लिम महिलाओं के लिए बेहद गंभीर बनता जा रहा है| कहीं कोई फोन पर अपनी पत्नी को तलाक दे रहा है तो कहीं कोई ख़त लिखकर| इतना ही नहीं इसके अलावा भी तलाक देने के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं| लेकिन आप शायद ये नहीं जानते होंगे की शौहर को तलाक देने के लिए मुस्लिम महिलाओं के पास तीन तलाक से भी बड़ा अधिकार है
इस्लाम में जहां पुरुषों को तलाक देने का अधिकार है, वहीं महिलाएं भी खुलअ दे सकती हैं। महिलाओं को यह भी अधिकार है कि खुलअ देते समय उन्हें इसके कारणों के बारे में भी नहीं पूछा जाता। इसके अलावा तीन तलाक के बजाए मात्र एक बाद खुलअ देने पर महिलाएं पति से अलग हो सकती हैं। महिला को अगर पति खुलअ नहीं देता ऐसे स्थिति में पति की कुछ नहीं चलेगी. महिला के कहने पर काजी खुलअ का ऐलान कर सकता है जो और पत्नी पर कोई अधिकार नहीं रह जाता खुलअ महिलाओं का ऐसा अधिकार है जहां पति बेबस है.
सिर्फ तीन बार बोलने से नहीं होता है तलाक
शमीम ने बताया कि अलबकरा 229 के अनुसार महिलाओं का पुरुषों पर उतना ही अधिकार है, जितना पुरुषों का उन पर। वहीं अलबकरा 230 के अनुसार एक साथ तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कहना एक ही बार गिना जाएगा। तलाक देने वाला पुरुष होश में हो और क्रोध से खाली होकर दो गवाहों की उपस्थिति में तलाक दे तभी वह तलाक माना जाएगा।
तीन तलाक पर क्या कहता है धर्म
मुस्लिम धर्म के हिसाब से पहली बार तलाक देने पर पुरुष महिला को छोड़ नहीं सकता। उन्हें तीन माह एक साथ रहना होगा। तीन माह के अंदर अगर सुलह नहीं होती तो उसे पत्नी को उसके मायके छोड़कर आना होगा और टैब इसे पूर्ण तलाक माना जाता है। अगर 90 दिनों में दोनों के बीच सुलह हो जाती है तो बिना किसी की दखलअंदाजी के वे एक साथ रह सकते हैं। ऐसा दूसरी बार तलाक देने के बाद भी होता है।
अगर पति तीसरी बार तलाक शब्द का प्रयोग कर लेता है तो इस स्थिति में महिला अब अपने पति के पास वापिस नहीं आ सकती और तीन माह की प्रक्रिया से भी उसे नहीं गुजरना होगा। तीन बार तलाक प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद पत्नी अपने पति के पास नहीं जा सकती। ऐसे में महिला किसी अन्य व्यक्ति से विवाह कर सकती है।
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