दुनिया का कोई भी कानून ऐसा नहीं है जो इंसानों को पूरी तरह से इन्साफ दिला सके. इन्साफ तो कुदरत का कानून करता है. और उसी को इन्साफ कहते है, अगर एक बेगुनाह के कातिल को मौत की सजा होती है. तो फिर 100 बेगुनाहों के कातिल को 100 बार मौत की सजा होनी चाहिए तब ही इन्साफ माना जाएगा. लेकिन दुनिया का कानून ऐसा इन्साफ करने में असमर्थ है.
तो चलो आईये देखते है कुदरत के कानून का इन्साफ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से.
कुरआन के एक वैज्ञानिक आयात के कारण एक वैज्ञानिक ने इस्लाम कुबूल किया …!
tejatat tejasen |
थायलैंड में “चियांग-माई यूनिवर्सिटी के DEPARTMENT OF ANATOMY के संचालक प्रोफ़ेसर “तिगातात तेजासन” इन्होने दर्द कोशिकाओं के सन्दर्भ में शोध पर बहोत वक्त खर्च किया, पहेले तो उन्हें विशवास ही नहीं हुआ के पवित्र कुरआन ने 1400 साल पहेले ही दर्द के बारे वैज्ञानिक यथार्थ को उद्घाटित कर दिया.
और उन्होंने सउदिया अरब में एक कार्यक्रम “आठवाँ सउदी चिकित्सा संमेलन” में हिस्सा लिया और कहा
=+=+= “ला इलाह-इल्ललाह मुहम्मद-उर-रसूलुल्लाह” =+=+=
वह वैज्ञानिक आयात इस प्रकार है
“जिन लोगों ने हमारी आयातों को मानने से इनकार कर दिया, हम उन्हें बिलाशुबाह (नि:संदेह) आग में झोकेंगे और उनके शारीर की खाल(त्वचा) जितनी बार गल जायेगी/नष्ट होजायेगी तो उसकी जगाह दूसरी खाल पैदा कर देंगे ता की वह खूब अझाब/तकलीफ का मजा चखे. अल्लाह बड़ी कुदरत रखता है, और अपने फैसलों को व्यवहार में लानेका बहोत ही अच्छी तरहा जानता है”………(कुरआन:- 4 आयात-56)
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