शनिवार को इस्तांबोल में इब्ने ख़लदून विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के पांच सदस्यों को यह अधिकार हासिल नहीं है कि जिस तरह चाहें दुनिया का भविषय निर्धारित करें.
उन्होंने कहा कि दुनिया के हालात द्वितीय विश्व की तुलना में काफ़ी बदल गये हैं और दूसरे मामलों की भांति इस विषय में भी सुधार बहुत आवश्यक है.
इस दौरान तुर्की राष्ट्रपति ने रोहिंग्या संकट के मामले में स्थायी परिषद की भूमिका की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, म्यांमार की कट्टरपंथी सेना और बौद्ध चरमपंथी रोहिंग्या मुस्लिमों का जनसंहार कर रहे है.
ध्यान रहे फ़्रांस, ब्रिटेन, रूस और चीन पर आधारित सुरक्षा परिषद के पांच सदस्यों के पास ही केवल वीटो का अधिकार है. जो सयुंक्त राष्ट्र के फैसले को रोकने का अधिकार रखते है. (कोहराम से साभार)