अहमदाबाद- एक बड़ी खबर गुजरात से आ रही है जहाँ गुजरात हाई कोर्ट आगामी विधान सभा चुनावों को ईवीएम मशीन की जगह साधारण बैलट पेपर से या वोटर वेरीफईड पेपर के ज़रिये कराने के निर्देश दे सकती है.
गौरतलब है की वोटर वेरीफईड पेपर (VVF) के द्वारा वोटर को मशीन से प्रिंटआउट देकर यह सुबूत मुहैया कराया जाता है की उसका वोट मशीन के द्वारा वही पड़ा है जहाँ उसने EVM मशीन पर बटन दबाया था.
पाटीदार आन्दोलन की कन्वेनर रेशमा पटेल ने आज गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करके यह कहा इस बात का कोई आधार नही है की evm मशीन में छेड़खानी करके उसे बदला नही जा सकता, आने वाले विधानसभा चुनावों में evm मशीन की जगह पारंपरिक तरीके से चुनाव कराने की ज़रूरत है, क्यों की evm की प्रक्रिया, सम्बंधित सॉफ्टवेर ना तो पूर्णत: सुरक्षित है और ना ही इस बात का भरोसा दिलाती है की उसे बदला न जा सके.
अपनी याचिका में उन्होंने कहा की “इस बात का भी कोई आधार नही है की प्रतिवादी (इलेक्शन कमीशन) जो एम्बेडेड प्रोग्राम मशीन में इस्तेमाल करते है उसे हैक नही किया जा सकता है” अगले कुछ सप्ताह में उनकी इस याचिका पर सुनवाई हो सकती है.
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन को निर्देश दिया था की वो ईवीएम मशीन के साथ वोटर को वोटर वेरीफईड पेपर (VVF) के बारे में जानकारी दें जिससे की वोटिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा सके. लेकिन आगामी गुजरात चुनाव में इलेक्शन कमीशन वोटर वेरीफईड पेपर (VVF) को ईवीएम के साथ मुहैया कराने में नाकामयाब रहता है तो उसे आदेश दिया जाये की वो साधारण बैलट पेपर पर चुनाव प्रक्रिया को कराए.
” टेक्निकल एक्सपर्ट के अनुसार, ईवीएम को नतीजों को मैनेज करने में इस्तेमाल किया जा सकता है, तथा इलेक्शन ऑफिसर द्वारा इसे बदला भी जा सकता है. यहाँ तक की इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेर को बदला जा सकता है, यहाँ तक की खुद बीजेपी ने भी इस सवाल को उठाया था. ईवीएम काफी विकसित देशों में प्रतिबंधित है.”
अपनी याचिका में उन्होंने उन हजारों लोगो के नाम भी बताये जो की एक विशेष कम्युनिटी (पटेल) के लोगो के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गये थे.
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