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आज से ठीक एक महीने पहले जब महामहिम राष्ट्रपति जी के उम्मीदवार की खोज विपक्ष द्वारा चल रही थी । तब हम सभी लोगों को भली भाँति मालूम है की पूरे विपक्ष द्वारा एक स्वर में माननीय शरद यादव जी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए आगे बढ़ाया गया था। आपको बता दे की शरद जी एक ऐसे उम्मीदवार थे जिनका समर्थन सत्ता पक्ष वह उसके सहयोगी दल भी कर सकते थे।
शरद जी की यही बढ़ती लोकप्रियता नीतीश कुमार को भायी नहीं क्यूँकि इससे शरद जी का पूरे देश ऐव बिहार प्रदेश के पिछड़े वर्ग में समर्थन बढ़ रहा था । नीतीश कुमार ने शरद जी के इसी बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए पहले विपक्ष के सामने प्रणब मुखर्जी जी का नाम आगे बढ़ाने की कोशिश की लेकिन वहाँ पर अपनी दाल ना ग़लती देख नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर एक ओछि चाल चली और राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नाम आगे बढ़वाया जिससे शरद जी को रोका जा सके और विपक्ष को भी पुनर्विचार करना पड़े । इस क़दम से इन्होंने ना सिर्फ़ शरद जी को धोखा देने का काम किया बल्कि बिहार की बेटी का नाम आगे ना बढ़ाकर और श्रीमती मीरा कुमारी का समर्थन ना करके भी बिहार तथा विपक्ष की 18 पार्टियों को धोखा देने का काम किया।
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