प्रोफ़ेसर एलिसन ने अपनाया इस्लाम (President of the British Society for Psychological Department)

Social Diary
लन्दन यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर और्थेर एलिसन को शायद यह मालूम ना था की विभिन्न धर्मों का अध्यन करते करते कब इस्लाम का पनाह में आ जायेंगे. यह शायद इस्लमा में ही है जो इसे पढता है उसके दिल में उतरता चला जाता है. प्रोफेसर एलिसन की कहानी भी कुछ इसी तरह है. जहाँ अबाउटइस्लाम डॉट नेट पर उन्होंने अपनी इस्लाम अपनाने की कहानी शेयर की.

प्रोफेसर के अनुसार इस्लाम ही वो धर्म है जो सच्चाई के रास्ते पर है, जिसके लिए ईश्वर ने मनुष्य को बनाया है तथा उन्होंने खुद महसूस किया है की अल्लाह के सिवा कोई पूज्ययोग्य नही है और मुहम्मद (स.) अल्लाह के नबी है.

“मैं ब्रिटिश सोसाइटी फॉर साइकोलॉजिकल और अध्यात्मिक अधयन्न का प्रेसिडेंट हूँ तथा अपने मनोविज्ञान के अध्यन के दौरान मैंने धर्मों को बहुत बारीकी से जाना तथा महसूस किया.मैंने हिन्दू धर्म, बौध तथा कुछ अन्य धर्मों/पंथों के बारे में गहन अधयन्न किया लेकिन जब मैंने इस्लाम को पढना शुरू किया तथा इसकी अन्य धर्मों से तुलना की तो मेरे सामने से पर्दा हटता चला गया.”


“अन्य धर्मों से तुलना करने के बाद मैंने पाया की इस्लाम ही सबसे सही धर्म है जो मनुष्य को सच के रास्ते पर ले जाता है, दिल की गहराईयों से मैंने महसूस किया की अल्लाह ही इस दुनिया को चला रहा है और वो इस जहान का रचियता है.”

अपने इस्लाम के अधयन्न के दौरान मैंने यह भी जाना की यह विज्ञान से बिलकुल भी भिन्न नही है, मुझे यह भरोसा है की यह अल्लाह की तरह से ही आया है जो एकमात्र इबादत करने योग्य है.

कलमा पढ़ने के दौरान ही महसूस हो गया सुकून

मेरे इस्लाम में आने के दौरान सबसे अधिक दिलचस्प बात यह रही की जब मैंने अपने मुंह से कलमा-ए-शहादत का उच्चारण किया तो मेरे दिल में ठंडक की एक लहर सी उठती चली गयी उसे मैंने अपने मन मस्तिष में महसूस किया जिससे मैंने खुद को संतुष्टि तथा सुकून की चरम सीमा तक खुद को पाया.

यह लेख अबाउटइस्लाम डॉट नेट पर पहली बार प्रकाशित हुआ

loading…

CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop