डेरे के उसके अनुयायी जो कत्ल करते थे, हथियार इकट्ठा करते थे और इस इंसान के कहने से हत्या की योजना बनाते थे, वह लोग भी क्या गुरमीत सिंह को भगवान मानते होंगे ? क्या पुलिस अधिकारीयों, राजनेताओं को यह सब पता नहीं होगा ? यह लोग यह सब जान कर भी इस गुरमीत सिंह के सामने झुक कर प्रणाम करते थे, बलात्कार करने को कोई बड़ी बात ना मानने वाले यह नेता, पुलिस अधिकारी और अफसर लोग प्रदेश की लड़कियों के बारे में क्या सोच रखते होंगे ?
हरियाणा में औसतन रोज़ एक दलित लडकी से बड़ी जाति के दबंगों द्वारा बलात्कार किया जाता है, इनमें से ज्यादातर लोग या तो पकड़े ही नहीं जाते या आराम से छूट जाते हैं, यह वही हरियाणा है जहां एक आदिवासी लडकी के साथ सीआरपीएफ के अफसरों द्वारा बलात्कार पर आधारित मह्श्वेता देवी के उपन्यास पर बने नाटक आयोजित करने वाली प्रोफेसर को नक्सली कह कर प्रताड़ित किया गया,
पूरा राष्ट्रवाद का किला इसी नकली ताकत पर खड़ा किया जाता है, छप्पन इंच की छाती, उसी की भाषा में जवाब देना जुमले बोल कर नकली वीरता का आभास कराया जाता है, आप यह सब अपने बच्चों को बचपन से ही सिखाते हैं, आपके धार्मिक टीवी सीरियल में आपके बच्चे क्या देखते हैं ? यही ना कि आपके देवता सब को मार रहे, आप देवता वाले हैं और हारने वाला राक्षस आपका दुश्मन है, या हमारी सेना दुश्मन को मार रही है या हम क्रिकेट में पाकिस्तान को हरा रहे हैं ?
आपके बच्चों का दिमाग ताकत की पूजा करने वाला बन जाता है, इसलिए इस समाज में जिसकी पास ताकत है सब उसे पूजने लगते हैं, अलबत्ता आप कभी यह नहीं पूछते कि आपका ईश्वर बलात्कार पीड़ित लडकी की मदद कभी भी क्यों नहीं करता ? आपको ताकत वर ईश्वर की किसी भी गलत बात पर सवाल उठाने से डरा दिया जाता है, और पूरा समाज सो जाता है,
मेरी नज़र में अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली दोनों लडकियां, आवाज़ उठाने वाला पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और फैसला देने वाला जज, इस समाज के लिए ज़्यादा ज़रूरी हैं, बजाय कि एक बड़ा सा झंडा लेकर अपनी कार के आगे बाँध कर घूमते सेना की जय बोलते तथाकथित राष्ट्रवादियों से,