बड़ी खबर : सारे बुचडखानों के मालिक गैरमुस्लिम, और नाम अरबी इस्लामिक

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद प्रदेश में अवैध बूचड़खानों को बंद किया जा रहा है। बुचड़खानों का नाम आते ही दिमाग में एक खास समुदाय उभर आता है। हमारी ऐसी मानसिकता बना दी गई है कि स्लॉटरहाउस सिर्फ खास मजहब के होते हैं और उसी मजहब के लोग काम करते है। अगर कोई यह कहे कई बूचड़खाने हिंदुओं के हैं तो इस बात पर शायद ही कोई हिंदू विश्वास करेगा।

भारत सरकार की कमर्शियल मिनिस्ट्री की संस्था, कृषि और प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (अपेडा) की मंजूरी पर देश में 74 बड़े बूचड़खानों चल रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी इन 74 बड़े स्लॉटरहाउसेस में 10 बूचड़खाने ऐसे हैं जिनके मालिक हिंदू हैं। जहां पर जानवरों के काटने का काम धड़ल्ले से किया जाता है, इस बात पर कोई हिंदू विश्वास नहीं करेगा। इन बूचड़खानों की पुष्टि बीबीसी ने अपनी पड़ताल में की है।



सबसे खास बात यह है हिंदू बूचड़खानों के मालिको ने हिंदू समाज में अपनी छवि बनाए रखने के लिए इनका नाम मुस्लिम शब्दों के आधार पर रखा है। बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में इन हिंदू मालिकों वाले बुचड़खानों के एक-एक नाम अपनी रिपोर्ट में बताए हैं।
देश का सबसे बड़ा बूचड़खाना अल कबीर है। ये तेलंगाना के मेडक जिले के रूद्रम गांव में है। इसके मालिक सतीश सब्बरवाल हैं, यह बूचड़खाना अल कबीर एक्स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड चलाता है। मुंबई के नरीमन प्वॉइंट में अल कबीर का मुख्यालय से मध्य पूर्व के कई देशों में बीफ का निर्यात किया जाता है। मध्य-पूर्व के कई शहरों में इसके दफ़्तर हैं। अल कबीर के कार्यालय दुबई, अबू धाबी, क़ुवैत, जेद्दा, दम्मम, मदीना, रियाद, खरमिश, सित्रा, मस्कट और दोहा में हैं। अल कबीर मध्य पूर्व के चेयरमैन सुरेश सब्बरवाल का कहना है कि “धर्म और व्यवसाय दो बिल्कुल अलग-अलग चीजें हैं और दोनों को एक दूसरे से मिला कर नहीं देखा जाना चाहिए. कोई हिंदू बीफ़ व्यवसाय में रहे या मुसलमान ब्याज पर पैसे देने के व्यवसाय में रहे तो क्या हर्ज़ है?”

अरेबियन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लमिटेड बूचड़खाने के मालिक सुनील कपूर हैं। इसका मुख्यालय मुंबई है। कंपनी बीफ़ के अलावा दूसरे जानवरों के मांस का भी निर्यात करती है। इसके निदेशक मंडल में विरनत नागनाथ कुडमुले, विकास मारुति शिंदे और अशोक नारंग जैसे हिंदू बिरादरी के लोग हैं। 

एमकेआर फ़्रोज़न फ़ूड एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड बूचड़खाने के मालिक मदन एबट हैं। कंपनी का मुख्यालय दिल्ली में है। एबट कोल्ड स्टोरेजेज़ प्राइवेट लिमिटेड का बूचड़खाना पंजाब के मोहाली जिले के समगौली गांव में है। 
अल नूर एक्सपोर्ट्स स्लॉटरहाउस के मालिक सुनील सूद हैं इस कंपनी का दफ़्तर दिल्ली में है। लेकिन इसका बूचड़खाना और मांस प्रसंस्करण संयंत्र उत्तर प्रदेश के मुजफ़्फ़रनगर के शेरनगर गांव में है। इस कंपनी की स्थापना 1992 में हुई और यह 35 देशों को बीफ़ निर्यात करती है.
एओवी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का बूचड़खाना उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में है। इसके निदेशक ओपी अरोड़ा हैं। यह कंपनी साल 2001 से काम कर रही है. यह मुख्य रूप से बीफ़ निर्यात करती है. कंपनी का मुख्यालय नोएडा में है। अभिषेक अरोड़ा एओवी एग्रो फ़ूड्स के निदेशक हैं।
स्टैंडर्ड फ़्रोज़न फ़ूड्स एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड इसके प्रबंध निदेशक कमल वर्मा हैं। इस कंपनी का बूचड़खाना और सयंत्र उत्तर प्रदेश के उन्नाव के चांदपुर गांव में है। 
पोन्ने प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट्स के निदेशक एस सास्ति कुमार हैं। कंपनी बीफ़ के अलावा मुर्गी के अंडे और मांस के व्यवसाय में भी है। कपंनी का संयंत्र तमिलनाडु के नमक्काल में परमति रोड पर है।
अश्विनी एग्रो एक्सपोर्ट्स का बूचड़खाना तमिलनाडु के गांधीनगर में है। कंपनी के निदेशक के राजेंद्रन धर्म को व्यवसाय से बिल्कुल अलग रखते हैं। उनके मुताबिक, “धर्म निहायत ही निजी चीज है और इसका व्यवसाय से कोई ताल्लुक नहीं होना चाहिए।”
महाराष्ट्र फ्रूड्स प्रोसेसिंग एंड कोल्ड स्टोरेज के पार्टनर सन्नी खट्टर का भी यही मानना है कि धर्म और धंधा अलग अलग चीजें हैं और दोनों को मिलाना ग़लत है.
वो कहते हैं, “मैं हिंदू हूं और बीफ़ व्यवसाय में हूं तो क्या हो गया? किसी हिंदू के इस व्यवसाय में होने में कोई बुराई नहीं है. मैं यह व्यवसाय कर कोई बुरा हिंदू नहीं बन गया.” इस कंपनी का बूचड़खाना महाराष्ट्र के सतारा ज़िले के फलटन में है। 
इसके अलावा हिंदुओं की ऐसी कई कंपनियां हैं, जो सिर्फ बीफ़ निर्यात के क्षेत्र में हैं, उनका बूचड़खाना नहीं है, पर वे मांस प्रसंस्करण, पैकेजिंग कर निर्यात करते हैं. कनक ट्रेडर्स ऐसी ही एक कंपनी है. इसके प्रोप्राइटर राजेश स्वामी ने कहा, “इस व्यवसाय में हिंदू-मुसलमान का भेदभाव नहीं है. दोनों धर्मों के लोग मिलजुल कर काम करते हैं। किसी के हिंदू होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

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