इस समाज की एक बेटी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिक बन गई है और सैटेलाइट उपकरणों में काम आने वाली तकनीक बनाने की दिशा में काम कर रही है।
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पिता हैं टैक्सी ड्राइवर तो मां है हाउस वाइफ…
बांसवाड़ा शहर में कार चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले आबिद खान की बेटी अर्शिया अंजुम इसरो में वैज्ञानिक बन गई है।
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– सितंबर 2015 से अर्शिया इसरो के अहमदाबाद सेंटर में सैटेलाइट के पेलोड्स बनाना और सैटेलाइट में उसके उपयोग की जांच करने का काम कर रही है।
– अर्शिया के मुताबिक जब तक पेलोड्स (यह उपकरण एक तरह से नेविगेशन को सैटेलाइट के माध्यम से लोड करने के काम आता है, जब तक यह काम नहीं करेगा, तब तक कोई भी सैटेलाइट किसी भी प्रकार की जानकारी अपलोड नहीं कर सकता है) सही काम नहीं करेगा, तो लाखों-करोड़ों रुपए से बना सैटेलाइट अपने लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाता है।
पिता ने कहा- वैज्ञानिक शब्द सुनकर ही गर्व होता है
पिता आबिद खान ने बताया कि भले ही हम लोग संघर्ष कर अपनी बेटी को आगे बढ़ा रहे हाें, लेकिन कोई पूछता है कि आपकी बेटी क्या करती है, तब यह कहते हुए गर्व महसूस होता है कि मेरी बेटी इसरो की वैज्ञानिक है।
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कभी-कभी 24 घंटे भी करना पड़ता है काम
अर्शिया ने बताया कि यह एक जिम्मेदारी का काम है। साथ ही इसमें बड़ी गोपनीयता रखनी होती है। एक ही तकनीकी पर काम करते हुए कभी-कभी 24 घंटे हो जाते हैं और पता ही नहीं चलता कि दूसरा दिन हो गया है। स्पेस सेंटर में जब वर्किंग होती है, तो पूरा फोकस टारगेट पर होता है, लेकिन इस बात की संतुष्टि होती है कि हम जो कुछ कर रहे हैं, वह आने वाले समय में देश का भविष्य होगा।
प्रेरणा- हर बेटी में जिद होनी चाहिए, वह कुछ कर सकती है
अर्शिया ने मुस्लिम समाज की बेटियों की शिक्षा को लेकर कहा कि हर बेटी में इस बात की जिद होनी चाहिए कि वह कुछ कर सकती है। साथ ही उसके माता-पिता को प्रोत्साहित करना चाहिए। अपने परिवार की बात कहते हुए बताया कि पिता आबिद खान एक सामान्य परिवार से हैं। फिलहाल एक निजी हॉस्पिटल में एंबुलेंस चलाते हैं, तो मां उजमा खान गृहिणी हैं।