सोशल डायरी ब्यूरो
दुनिया भर में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मीडिया से सोशल मीडिया 10 कदम आगे चल रहा है. सोशल मीडिया ने सारे मीडिया को पीछे डाला. सोशल मीडिया पर कलरात से सिर्फ नितीश पर कमेंट किये जा रहे है. लोग विभिन्न तर्क-वितर्क दे रहे है. इस चर्चा में बलात्कार, डकैती, मोब लिंचिंग जैसे मुद्दों को दबा तो दिया ही है लेकिन हाल ही का सबसे बड़ा मुद्दा चाइना को भी दबा दिया गया है. बीजेपी सरकार के झांसे में हर बार की तरह इस बार भी सोशल मीडिया आ चुका है. सारे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाये जाने की प्लानिंग नितीश का इस्तीफा बताया जा रहा है.
नितीश के बाद अब लोगो का मोर्चा उस ममता बैनर्जी पर है जिसने हाल ही में ‘बीजेपी भारत छोडो’ अभियान की शुरुआत की. लोगो का मानना है की, नितीश ने भी isi तरह कहा था के “मिट्टी में मिल जाउंगा लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाउंगा” लोगो ने चुटकी लेते हुए कहा की नितीश लालू को तलाक देकरबीजेपी संग भाग गए इसीलिए कांग्रेस विधवा हो गयी.
Mohammad Shamim Ansari अपनी फेसबुक वाल पर लिखते है की, नीतीश कुमार की दुआ से जुड़े आप सभी लोग. ऐ ईश्वर मुझे मुआफ़ कर दे जनता का दिल साफ़ कर दे. हम संघ के दलाल ही सही लालू के लिए बवाल ही सही. पर प्रभु मुझे ऐसा ज्ञान देना मेरी तरफ ही बस ध्यान देना. मुझे ये एहसास है संघ को दलित के खून की प्यास है. हर तरफ़ कत्ल आम तमाम होंगे देखना बस मुसलमान होंगे. और कितनी गाली खाये थोड़ी ही सही अब तो दलाली खाये
नीतीश के बाद अगला लिव इन ममता जी करेगीं संघ के साथ इस बात को स्क्रीन शॉट बना कर रख लो हम अभी से बता दे रहे है
Shaikh Subhan Ali इन्होने लिखा, मै और भाजपा साथ मे मिट्टी मे मिलना चाहते है…
मै झूठा नही हू….
धोखेबाज नही हू….
गद्दार नही हू….
आप समझ नही रहे….. मुझे…
आज भी मै,अपनी बात पर कायम हु….
मै मिट्टी मे मिलना चाहता हू….
मैने मिट्टी मे मिलने के लिए ही…
भाजपा से दोस्ती कि है…..
आईये देखते है बिहार के हालात
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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अचानक इस्तीफा देने से राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई है। अब लाेगाें काे लग रहा है कि नीतीश बीजेपी का समर्थन हासिल करके फिर सीएम की कुर्सी पर काबिज हो जाएंगे। लेकिन लालू यादव को करीब से जानने वाले लोगों को ऐसा होता नहीं दिख रहा है। उनकी मानें तो लालू एकबार फिर अपने सियासी गणित से अपनी पार्टी को प्रदेश की सत्ता पर काबिज करा सकते हैं।
राजनीति में सबकुछ संभव
आप सोच रहे होंगे कि ऐसा मुमकिन नहीं है। लेकिन राजनीति में कोई दोस्ती या दुश्मनी स्थाई नहीं होती। आपको बता दें कि 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में आरजेडी के 80, कांग्रेस के 27, जेडीयू के 71 और बीजेपी के 53 विधायक हैं। बीजेपी के सहायक दलों के कुल पांच विधायक हैं। विधान सभा में बहुमत के लिए कुल 122 विधायकों का समर्थन चाहिए।
लालू अपना सकते हैं फूट डालो और राज करो की नीति
आरजेडी प्रमुख लालू यादव जदयू में फूट डालो और राज करो की नीति अपना सकते हैं। अगर नीतीश बीजेपी के साथ जाते हैं तो कांग्रेस लालू के साथ हर हाल में रहेगी। ऐसे में लालू यादव को बहुमत के लिए केवल 15 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत होगी। खबरों के मुताबिक जेडीयू के करीब 20 विधायक और 12 में से 6 सांसद मौजूदा निजाम से खफा हैं। ऐसे में लालू यादव की कोशिश होगी कि वो जेडीयू के इन असंतुष्टों के जख्मों को कुरेंदे और बगावत की आग भड़काकर सत्ता हासिल कर सकतें हैं
राजनीति में सबकुछ संभव
आप सोच रहे होंगे कि ऐसा मुमकिन नहीं है। लेकिन राजनीति में कोई दोस्ती या दुश्मनी स्थाई नहीं होती। आपको बता दें कि 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में आरजेडी के 80, कांग्रेस के 27, जेडीयू के 71 और बीजेपी के 53 विधायक हैं। बीजेपी के सहायक दलों के कुल पांच विधायक हैं। विधान सभा में बहुमत के लिए कुल 122 विधायकों का समर्थन चाहिए।
लालू अपना सकते हैं फूट डालो और राज करो की नीति
आरजेडी प्रमुख लालू यादव जदयू में फूट डालो और राज करो की नीति अपना सकते हैं। अगर नीतीश बीजेपी के साथ जाते हैं तो कांग्रेस लालू के साथ हर हाल में रहेगी। ऐसे में लालू यादव को बहुमत के लिए केवल 15 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत होगी। खबरों के मुताबिक जेडीयू के करीब 20 विधायक और 12 में से 6 सांसद मौजूदा निजाम से खफा हैं। ऐसे में लालू यादव की कोशिश होगी कि वो जेडीयू के इन असंतुष्टों के जख्मों को कुरेंदे और बगावत की आग भड़काकर सत्ता हासिल कर सकतें हैं
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