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राज्य और केंद्र की सरकारें उदासीन हो सकती हैं, प्रशासन और प्रतिनिधि उदासीन हो सकता है मगर मीडिया को क्या हो गया जो उसे यह भयावह तस्वीरें तक नज़र नहीं आ रही हैं ? आखिर क्या वजह की देश का बड़े से बड़ा मीडिया नए-पुराने बयान, फालतू की जिज्ञासा पैदा करने वाली तस्वीरें स्पॉन्सर करके सर्कुलेट कर रहा है मगर जनता की बदहाली को, जनता की परीशानी को इस तरह नज़रअंदाज़ कर रहा है ?
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