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बिहार में बीजेपी से गटबंधन कर बनी सरकार के दुष्परिणाम क्या होंगे. इस पर कुछ विद्वानों के संकेत. सोशल मीडिया से
नितीश कुमार का इस्तीफा और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला बिहार की राजनीति में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी बड़ा कदम है | बिहार के साथ ही संघ / बीजेपी की 14 राज्यों में सरकारें हो गयी हैं जिनमें से सबसे बड़े राज्य राजस्थान , मध्यप्रदेश , उत्तर प्रदेश के अलावा जनसंख्या की दृष्टि से बड़ा राज्य बिहार भी शामिल हो गया है | संघ / बीजेपी का उद्देश्य पूरे देश में भगवा फहराना है जिसके लिए संघ ने वर्षों से मेहनत की है और लोगों में साम्प्रदाईक नफरत को इंजेक्ट ही नहीं किया है बल्कि उसे उभारा भी है | संघ अब अपने लक्ष्य के बहुत निकट पहुंच चुका है | उन राज्यों में भी उसकी सरकार हैं जहाँ वह कुछ सालों पहले सोच भी नहीं सकता था , जैसे जम्मू कश्मीर और उत्तर पूर्व के कुछ राज्य | शाह – मोदी संघ के समर्पित कार्यकर्ता है जो हिन्दू राज्य की स्थापना करने के सबसे महत्वपूर्ण नेता हैं | संघ अपने उद्देश्य में सफल हो रहा है जिसने सबसे पहले हमला देश की शिक्षा व्यवस्था और धर्मनिरपेक्षता पर किया है | तमाम आम लोग हिन्दू राज कैसा था या हिंदुत्व क्या है यह भी नहीं जानते | लोगों को काल्पनिक दुनिया में ले जाया गया है जहाँ संस्कृति की महानता और देश को विश्व गुरु बनाने के सपने हैं बशर्ते इसके लिए कोई रोडमैप नहीं है | “योगा डे” भी इसी का उदाहरण है | आम हिन्दू पब्लिक खुश है कि हिंदुत्व के अनुसार राज्य होगा | मोदी पर इस इस बड़ी जनसंख्या का विश्वास बना हुआ है | जिस तरह मोदी ने उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की पूर्व सरकारों को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगवाया था वह लोकतंत्र की हत्या ही थी ,अब बिहार में भी सत्ता की प्राप्ति के लिए वही रणनीति अपनाइ गयी है ; इनका अंतिम उद्देश्य है किसी भी तरीके से सत्ता पर अधिकार करना | नितीश कुमार की विचारधारा बीजेपी के निकट है और यह स्वाभाविक ही था कि वे महागठबंधन को तोड़ देंगे | संघ ने इससे एक ही तीर से कई शिकार किये हैं | इससे न केवल महागठबंधन टूटा है बल्कि ओबीसी वर्ग से सत्ता भी छीन ली है | हिंदुत्व के ठेकेदार निम्न जातियों के पास सत्ता कैसे रहने दे सकते हैं ? यूपी चुनावों में ईवीएम से इन लोगों ने जीत हासिल की थी जहाँ ओबीसी और अनुसूचित जाति के नेता मजबूत थे तो बिहार में सत्ता इस तरीके से प्राप्त की है |
सीबीआई मोदी विरोधियों को चुप कराने का वर्तमान सरकार की सबसे बड़ी हथियार बनी हुई है | अरविन्द केजरीवाल , ममता बनर्जी , लालू यादव हों या एनडीटीवी ; किसी भी विरोध के स्वर को कुचलना मोदी शाह की नीति रही है | ये लोग किसी भी लोकतंत्र को नहीं मानते केवल चुनावों की मजबूरी में ही लोकतान्त्रिक होने का ढोंग करते हैं | सत्ता के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं , कोई भी नैतिकता या सही – गलत से इनको कोई फर्ख नहीं पड़ता है | विपक्ष बहुत कमजोर हो चुका है | पूरी मीडिया मोदी की इमेज बनाने में लगी हुई है जो विपक्ष को बर्बाद करने का काम कर रही है | इसका खामियाजा अंततः देश और देशवासियों को ही भुगतना है | बिहार में अभी तक महागठबंधन के राज में कोई भी “मॉब लिंचिंग” की घटना नहीं हुई क्योंकि लालू यादव की पार्टी का भय ऐसे तत्वों को था जबकि अब बिहार में भी ये घटनाएँ होंगी | जहाँ भी बीजेपी की सरकारें हैं वहां ये घटनाएँ आम हैं | संघ की रणनीति से निपटने का विपक्ष के पास कोई रोडमैप नहीं है ऊपर से मीडिया तथा कुछ पूंजीपतियों का समर्थन इनके कैम्पेन को धार दे रहा है इसके अलावा संघ ने अपना ऐसा कैडर निर्मित किया है जो मरने – मारने पर उतारू हो जाता है और अनुशासित रहता है | ये सारी परिस्थियाँ बीजेपी के साथ हैं इसके अलावा चुनाव आयोग की ईवीएम से ही चुनाव कराने की जिद भी बीजेपी के अनुकूल है अतः अभी मोदी की सत्ता लम्बे समय तक रह सकती है | देश का भगुवाकरण इस काल की सबसे बड़ी बिडम्बना ही होगी | शिक्षा , स्वास्थ्य , रोजगार , वैज्ञानिक दृष्टिकोण बनाने के स्थान पर धार्मिक मूढ़ता का ही निर्माण किया जाएगा | यह अंध भीड़ हांकने में आसान होती है | जेएनयू जैसी संस्थाओं का विरोध ही इसीलिए किया जाता रहा है , अब तो वहां टैंक तैनात किया जा रहा है जो उनको यह याद दिलाता रहे कि विरोध को टैंको से भी कुचला जा सकता है , चीन 1989 में यही कर चुका है जब उसने लोकतंत्र की मांग करने वाले छात्रों को “तियेन आन मन चौक” पर टैंकों से कुचल दिया था | संघी हर मुद्दे को भावनाओं से जोड़ते हैं इस मुद्दे को भी देशभक्ति से जोड़ दिए , ऐसे ही जैसे नितीश के इस्तीफे को भ्रष्टाचार से लड़ने के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जबकि हकीकत मोदी विरोध के स्वरों को हमेशा के लिए कुचलना है | बीजेपी के नेता तो दूध के धुले हैं जिन पर कार्यवाही कैसे हो सकती है ? सबसे बड़ी बात एक संघी कभी भी दूसरे संघी पर कार्यवाही नहीं करता क्योंकि वे एक दूसरे को कमजोर नहीं करते जबकि कांग्रेस के पतन का यही कारण रहा है |
देखिये इतिहास किस तरफ हमें ले जाता है | अभी तो लोगों को प्रतिगामी [ पीछे की ओर ले जाने वाले कदम ] लोगों पर ही भरोसा हो रहा है | अच्छा है जब कट्टर हिन्दू राष्ट्र बनेगा तभी तो विश्व गुरु बनेगा सभी यही सोच रहे हैं जबकि जब भी कट्टरता बढ़ी है राष्ट्रों का पतन ही हुआ है ….
खैर नितीश का शपथ गृहण समारोह होने वाला है ….
Kamal Kumar
Huma Naqvi
नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. नीतीश के साथ ही सुशील मोदी ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब नीतीश कुमार के सामने बस विधानसभा में बहुमत पेश करने की चुनौती है. 28 जुलाई को विधानसभा में बहुमत पेश करना है. सुशील मोदी ने बीजेपी और जेडीयू के पास 132 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है, लेकिन जेडीयू में लगातार बगावती सुर दिखाई दे रहे हैं… जदयू के 71 में 18 विधायक राजद का समर्थन कर सकते हैं…. इनमें से 5 विधायक मुस्लिम हैं और 11 विधायक यादव समुदाय से हैं…. 2 अन्य विधायक भी राजद के संपर्क में हैं…. पार्टी विधायक बिजेंद्र यादव ने कहा कि बिहार की जनता ने नीतीश और लालू को एक साथ चुना था. …..अब नीतीश के पास सबसे बड़ी चुनौती बहुमत की ही है… आगे आगे देखिये होता है क्या….
Pankhuri Pathak
@NitishKumar जी आज जो आप कर रहे है इतिहास आपको भाजपा के साथ लोकतंत्र के क़त्ल का दोषी पाएगा.
काकावाणी @AliSohrab007
देश की राजनीति मे
मुसलमानों के पास अब 2 ही रास्ते हैं
-सेकुलरिज्म की बंधुआ मजदूरी छोड़े या
-राजनीति छोड़ इसाई समाज जैसा अपने काम से मतलब रखे
Acharya Pramod
बिहार की राजनीति की स्क्रिप्ट राष्ट्रपति चुनाव में ही लिखी जा चुकी थी आज तो सिर्फ़ पढ़ी गयी है.
Bp Yaduvanshi @YaduvanshiBp
आप तो गिरगिट को भी मात दे दिए…छू छा छन बाबू
कउनो स्कैंडल या आपत्तिजनक टेप धरा गया था का हो सुसाशन बाबु ??
CITY TIMES
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