मुंबई: शौचालयों की मरम्मत के लिए 214 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ हैं जबकि इतने ही पैसे में मुंबई में शौचालय की 12022 नई सीटें तैयार की जा सकती थी। 90% मामलों में, वास्तविक काम की लागत लागत अनुमान के बराबर है। यह जानकारी वाली रिपोर्ट आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त हुई हैं। ताज्जुब की बात यह भी हैं कि मनपा और म्हाडा प्रशासन ने एक ही शौचालय की मरम्मत पर पैसे खर्च करने का सनसनीखेज खुलासा रिपोर्ट में हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बीएमसी के SWM विभाग से यह जानकारी भी प्राप्त की। SWM विभाग की एक रिपोर्ट है जो कि पहले आवश्यक कार्रवाई के लिए नगर निगम आयुक्त अजय मेहता को भेजी जा चुकी हैं। 11 पृष्ठों की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य हैं। नए सीट के निर्माण पर केवल 1,78,000 रुपए की लागत अनुमानित होती हैं जबकि कुछ शौचालय में एक सीट पर 3 से 10 लाख की लागत का खर्च बताया गया है। कुछ मामलों में शौचालय एसी छत की होते हुए टेरेस स्लैब पर वॉटर प्रूफिंग की गई हैं।
दिलचस्प बात यह है इन शौचालयों भी म्हाडा द्वारा मरम्मत करने के बाद भी मुंबई में शौचालयों की गुणवत्ता में सुधार नहीं आ रहा है। मुंबई स्वच्छ भारत रैंकिंग में 10 से 29 नंबर पर आने के पीछे यहीं कारण मुख्य माना जाता हैं। दोषपूर्ण सैप प्रणाली और 1 वर्ष के दोष दायित्व अवधि में मरम्मत का नियम से क्वॉलिटी में गिरावट आती हैं। लेखा विभाग द्वारा वित्तीय कुप्रबंधन के रूप में शौचालय की मरम्मत कई बजट प्रावधानों है, सैप के दुरुपयोग और दोष दायित्व अवधि का केवल एक साल भी घोटाला करने के लिए जिम्मेदार होने का दावा अनिल गलगली ने किया हैं।
अनिल गलगली एक वर्ष के दोष दायित्व अवधि वाले वार्ड कार्यालयों में हुए सभी कार्यों की जांच का आदेश देने और बीएमसी में एक ‘शौचालय नियामक प्राधिकरण’ का गठन करने की मांग वाला पत्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजा हैं ताकि मुंबई में 10000 शौचालय निर्माण और मरम्मत का कार्य ठीक ढंग से हो सके। इंजीनियर और ठेकेदार, लेखा अधिकारी और वार्ड अधिकारियों की मिलीभगत की जांच होती हैं तो एक बड़े पैमाने पर हुए 5000 करोड़ रुपए भ्रष्टाचार की पोल खोल हो सकती हैं।
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