मुंबई एयरपोर्ट पर मुसलमानों ने पढ़ी नमाज़, तो हो गया बड़ा विवाद, उनके हथियार चलने पर भी कोई आपत्ति नहीं

SocialDiary
मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कल देर रात कुछ मुसलमानों के नमाज़ अदा करने को लेकर विवाद हो गया है. एक यात्री ने आरोप लगते हुए कहा है कि कुछ मुस्लिम यात्री एयरपोर्ट पर गैंगवे में – बीच रास्ते पर ही नमाज़ पढ़ने बैठ गए. जिससे रास्ते में बाधा उत्पन्न हो गई. जबकि एयरपोर्ट पर नमाज़ के लिए विशेष रूम की व्यवस्था भी है. विनीत गोयनका नाम के यात्री ने इस पर आपत्ति उठाई है.

सीईएसएफ जवान एचएस रावत ने यात्रियों से बदतमीजी की….
जिस जगह मुसलमान पढ़ रहे थे वहां पर सीआईएसएफ के जवान तैनात थे और वे अन्य यात्रियों को नमाज़ी यात्रियों से दूर हो कर आने-जाने के लिए कह रहे थे. गोयनका का आरोप है कि वहां पर तैनात सीईएसएफ जवान एचएस रावत ने यात्रियों के साथ बदतमीजी की है. उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट पर जब नमाज अदा करने के लिए अलग से रूम की व्यवस्था है तो किसी को बीच रास्ते में नमाज़ अदा करने क्यों दिया गया.

सीआईएसएफ जवान ने हिंदुओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की…
साथ ही विनीत यह आरोप भी लगाया कि सीआईएसएफ जवान ने हिंदुओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की. इतना ही नहीं विनीत एयरपोर्ट पर धरना प्रदर्शन शुरू किया. विनीत का आरोप है कि उनकी पत्नी ने जब धरना प्रदर्शन की तस्वीर को कैमरे में कैद करना चाहा तो जवान ने कैमरा छीनने की कोशिश की. विनीत ने इसके खिलाफ केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को खत लिखा है. (साभार)
 ‘अगर यह तस्वीर मुस्लिम लड़की की होती, तो मीडिया इसे आतंकवादी शिविर लिखता’

जम्मू मे भाजपा के अनुषांगिक संगठन आरएसएस की शाखा दुर्गा वाहिनी के ट्रेनिंग कैम्प चल रहे हैं। ये ट्रेनिंग देश के अलग अलग हिस्सो में आत्मरक्षा के नाम पर चलाये जा रहे हैं। साथ ही खुले आम कहा जा रहा है कि ‘राष्ट्र रक्षा’ के नाम पर इन शिविरों का आयोजन किया जाता है। अब से पहले यूपी के फैजाबाद, और गाजियाबाद जिले के बम्हेटा गांव में इसी तरह के शिविर सामने आये थे। इन शिविरों में राष्ट्र के दुश्मन के तौर पर जो तस्वीर दिखाई गई थी वह तस्वीर मुसलमानों की थी। शिविरो को संचालकों का तर्क होता है कि जब पाकिस्तान या आईएस भारत पर हमला करेंगे तब उनके मुकाबले के लिये इन शिविरों में ट्रेनिंग दी जाती है।


यह कोरा झूठ है, और अपने सांप्रदायिक ऐजेंडे को आगे बढ़ने के लिये, देश में अमन पसंदों के लिये जमीन तंग करने के लिये इन ‘आतंकी शिविरों’ पर देशभक्ती का लबादा डाल दिया जाता है। आज के दैनिक जागरण अखबार के मेरठ संस्करण में जम्मू में चल रहे ऐसे ही एक शिविर की तस्वीर प्रकाशित हुई है। अखबार ने इस तस्वीर के कैप्शन में इन शिविरों को वाह वाही करने में कोई कसर नही छोड़ी।

सोचिये यही तस्वीर किसी मदरसे की होती या फिर किसी मुस्लिम बस्ती की होती, या वो भी छोड़िये यही तस्वीर किसी मुस्लिम युवती की होती तब भी क्या अखबार ऐसा ही कैप्शन लिखता ? बिल्कुल नहीं, टीवी से लेकर प्रिंट मीडिया तक तमाम जगह इन्हीं तस्वीरों को प्रकाशित प्रसारित किया जाता। और कैप्शन के तौर पर सीधा सीधा आतंकवादी शिविर लिखा जाता।

पिछले महीने कश्मीर की कुछ छात्राऐं पत्थरबाजी कर रही थीं तब इन्हीं अखबारों ने उन छात्राओं को क चरमपंथी लिखकर संबोधित किया था। यह दोहरा ऐजेंडा क्यों है ? चार मुसलमान अगर हाथों में डंडे लेकर भी खड़े हो जायें तो वह मीडिया और इस देश के तथाकथित देशभक्तों को आतंकवादी नजर आते हैं।

दूसरी तरफ हिन्दू रक्षा, धर्म रक्षा, राष्ट्र रक्षा के नाम पर नौनिहालों के जेहन में जहर घोला जाता है, उन्हें हथियार चलाने से लेकर बम फोड़ने तक की ट्रेनिंग दी जाती है मगर उस पर यही मीडिया देशभक्ती का लेप लगा चिपका देती है। कौन नहीं जानता कि आरएसएस के दर्जनभर कार्यकर्ता देश में विभिन्न स्थानों पर बम फोड़कर लोगों की जान लेने के आरोप में जेलो में बंद हैं ? कौन नहीं जानता कि अजमेर बम ब्लास्ट मे दोषी पाये गये आरएसएस के कार्यकर्ता आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं ?

उसके बावजूद भी इन संगठनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। पाकिस्तान की एक शायरा हैं फहमीदा रियाज़ उनकी एक नज़्म है ‘तुम तो बिल्कुल हम निकले’ इसी नज्म की एक पंक्ति है ‘कुछ भी तो न पड़ोस से सीखा’ पड़ोस का मतलब पाकिस्तान है।

पाकिस्तान की लाल मस्जिद को कौन भूल सकता है जहां से प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादियो न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पड़ोसी देश की नाक में दम कर दिया था। वे आतंकवादी भी इसी तरह तैयार किये गये जिस तरह भारत में हिन्दू रक्षा राष्ट्र रक्षा के नाम पर लड़ाके तैयार किये जा रहे हैं। ये लड़ाके कोई एक दो महीने से तैयार किये जा रहे हैं बल्कि दशकों से यह खेल जारी है।

बम्हेटा में ऐसा ट्रेनिंग कैम्प चलाने वाले ने साफ साफ कहा था कि हमने ‘मुजफ्फरनगर’ में अपने लड़ाके भेजे थे। मुजफ्फरनगर में कौन लड़ रहा था ? क्या पाकिस्तान लड़ रहा था या फिर आईसिस घुस आया था ? कोई नहीं बल्कि वह सांप्रदायिक दंगा था जिसमें ऐसे ही प्रशिक्षित लड़ाके गये थे और उन्होंने जाकर क्या किया होगा यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है।

भारतीय खुफिया तंत्र इस ओर से बिल्कुल आंख मूंदकर पड़ा है, और मीडिया भी इन ट्रेनिंग कैम्पों की वाह वाही कर रही है। कल जब यह देश ‘हिन्दु पाकिस्तान’ बनेगा तब उन लोगों के घर भी सलामत नहीं रहेंगे जो इन आतंकी शिविरों पर खामोशी अख्तियार करके इनको मौन समर्थन दे रहे हैं। (साभार)
-वसीम अकरम त्यागी

loading…

CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *