मुर्दा दफनाने आये 20 लोग मद्फिन से हुए मुतासिर, मरहूम का धर्म इस्लाम अपनाया

Social Diary
हमारे देश भारत की सब से बड़ी विशेषता यह
है कि हम अनेकता में एकता का प्रदर्शन करते हैं। आज तक भारत के नागरिक
परस्पर एक दूसरे से प्रेम, सद्व्यवहार, और सहानुभूति का मआमला करते हैं। एक
दूसरे की खुशी और शोक में बराबर भाग लेते हैं। इस सम्बन्ध में अभी कुछ देर
पहले डा0 सईद उमरी साहब का बयान सुन रहा था कि एक दिन उनके पास फोन आया कि
हमारे क्षेत्र में एक मुस्लिम महिला की मृत्यु हो गई है और इस क्षेत्र में
कोई मुस्लिम नहीं है आखिर इसका अन्तिम संस्कार कैसे किया जाए ?


 

डा0 साहब ने उन से निवेदन किया कि  यदि आप लोग हमारे पास लाश को
पहुंचा सकते हैं तो हम आप के आभारी होंगे। कुछ ही देर में बीस आदमी लाश ले
कर उपस्थित हो गए, आश्चर्य की बात यह है कि  सब गैरमुस्लिम थे, जब क़ब्र
खोदी जा रही थी तो डा0 साहब ने सारे गैर-…मुस्लिम भाईयों के समक्ष मरने के
बाद क्या होगा ? के विषय पर प्रकाश डाला और बताया कि: किस प्रकार मुस्लिम
और गैर-मुस्लिम की आत्मा निकाली जाती है और कैसे उसे परिवार से बिल्कुल दूर
तंग कोठरी में डाल दिया जाता है या जला दिया जाता है।
फिर एक दिन उस से अपने सांसारिक कर्मों का लेखा जोखा लिया जाएगा जिस
के आधार पर या तो स्वर्ग का सुखमय जीवन होगा या नरक का दुखद भरा जीवन। फिर
उन लोगों से पूछा कि आप लोग इन दोनों में कौन सा जीवन पसंद करेंगे? तो सब
ने कहा कि स्वर्ग का सुख भरा जीवन, अतः सब ने उसी स्थान पर इस्लाम स्वीकार
कर लिया।
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