मुसलमान शांतिप्रिय ना होते, तो तसलीमा नसरीन का गौरी लंकेश हो जाता

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फाइल फोटो
सोशल डायरी स्टाफ
विशेष गिरोह द्वारा हमेशा से मुसलमानों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए हमेशा प्रोपगंडा किया गया है. लेकिन सच्चाई छुप नहीं सकती. अगर सच में इस्लाम आतंकवाद सिखाता और मुसलमान अशान्तिपूर्ण लोग होते तो तारेक फ़तेह का दाभोलकर हो चुका होता. और तसलीमा नसरीन का गौरी लंकेश हो चुका होता. इन जैसे सैकड़ो हजारो लोग है जो मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते है. लेकिन अभी भी सुरक्षित है. और यह आगे भी सुरक्षित रहेंगे. क्यूंकि इस्लाम खूनखराबे की इजाजत नहीं देता. और ऐसे एक दो जहरीले सांप के जहर से मुसलमान मरता नहीं बल्कि इस्लाम और मजबूत होता है. इन जैसो के बयानों से लोग इस्लाम का अध्ययन करते है. फिर उन्हें सच्चाई कुछ और ही मिलती है. और इस्लाम कबूल कर लेते है. धन्यवाद फ़तेह और नसरीन का. जिन्होंने कई लोगों को इस्लाम का अध्ययन करने को मजबूर किया.

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