मुस्लिम महिला की FAKE फोटो – योगी से पहले मीडिया फैला रही है भेदभाव, नफरत

सोशल डायरी, ब्यूरो
जैसे ही योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर घोषणा की गयी योगी इतने व्यस्त हो गए के, पार्टी और संघ के दिग्गजों के साथ उनकी मीटिंगे तय हो गयी और ऐसे में वह किसी आम लोगो से मिलने के लिए उनके पास दो दिन से तो समय ही नहीं था. उन्हें तत्काल निजी विमान से दिल्ली भी बुलाया गया था. ऐसे में मीडिया का योगी आदित्यनाथ से कई गुना सांप्रदायिक और कट्टरवादी चेहरा तब सामने आया जब उनके द्वारा एक मुस्लिम महिला की तस्वीर मीडिया के अनुसार “पैर छू ते हुए मुस्लिम महिला” मीडिया वाले धड़ल्ले से शेयर कर रहे है. उनकी टीआरपी के साथ संघ और बीजेपी से नादे पैजामे का रिश्ता भी खुलकर दिखाई देने लगा है. मीडिया का निष्पक्ष होना लोकतंत्र के लिए फायदेमंद होता है. लेकिन हमारी मीडिया ही साम्प्रर्दायिकता और कट्टरता को बढ़ावा देती है. पूर्व काटजू ने जो बयान दिया के मीडिया किसी वेश्या से कम नहीं है. यह बात शत प्रतिशत सच है मीडिया ने अपना सबकुछ चाँद सांप्रदायिक लोगो को बेच दिया है. पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक जा रहे है. 
ऊपर जो तस्वीर दिखाई दे रही है वह हाल हीइ, इसमें एक महिला दिखाई दे रही है. जोगी के पैर नहीं छू रही बल्कि सलाम कर रहीइ. योगी स्टेज पर खड़े है और यह महिला स्टेजछे से अदब से सलाम कर रही है. इस तस्वीर को पैर छू टी हुई बताया जा रहा है. इसमें एक ख़ास बात यह है की, कोई भी महिला किसी भी पुरुष के सामने ( पिता, ससुर) के अलावा किसी से भी झुक कर सलाम नहीं करती. चाहे वह इस्लाम को मानने वाली हो, या ना हो,ही-लिखी हो या अनपढ़-जाहिल हो. कोई भी मुस्लिम महिला यह हरकतर सकती. यह फोटो में दिखाई दे रही महिला पुरुष है. जिसके हाथो से साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है. और वैसे भी संघियों को बुर्का पहनकर कारनामे करने का बहुत शौखटा है. सिर्फ मुस्लिम महिलाओं को टारगेट कर उनका अपमान करने के लिए यहयाइ.
इस महिला का नाम लक्ष्मी है
पिछले दिनों तो एक नहीं हजारो महिलाओं से कावड यात्रा तक निकाली गयी थी, एक जगहजेपी उपाध्यक्ष मुहर्रम के जुलुस में बुर्का पहनकर मुस्लिम महिलाओं से छेड़खानी करतेइ पकड़ा गया था. हाल ही में एक लक्ष्मी नाम की महिला को मुंबई पुलिस ने बच्चे कीइइ हुएकदा जो बुरका पहनकर यह काम को अंजाम देती थी. ऐसे कई कारनामे है जो मुस्लिम महिलाओं को बदनामरनेर मुस्लिम युवाओं में गुस्से की लहर पैदा कर उनको दंगो के लिए इस्तेमाल करने के लिए किये जाते है. सांप्रदायिक दंगो की शुरुआत ऐसे ही कारनामो से की जाती है. तब मुस्लिम युवाओं से यह अपील की जाती है की, जब भी कोई इस्लाम या मुस्लिम के अपमान की तस्वीर सांप्रदायिक मीडिया प्रकाशित करता है तो उसपर प्रतिक्रया देने से पहले उसकी जांच की जाए. फिर कानूनी रूप से लड़ाई लड़ीए. कोई भी गैरकानूनी कदम उठाना मुस्लिम युवाओं के लिए ही नुकसानदायक होताइ. और मुस्मिल युवाओं को भड़कानेये चली जा रही चाल को भड़क कर कामियाबही करे
-धन्यवाद

CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *