एक मुबारक रात आने वाली है जिसका नाम है शबे बरात।
इसमें कुछ लोग तो इखलास के साथ इबादत में मशगूल रहेंगे और कुछ हज़रात मोटरसाईकिल लेकर ट्रिपलिंग, फोर्लिंग और फाइवलिंग करते हुए शहर में ऊधम मचाएंगे।
पुलिस वालो को आँख दिखाएंगे की हम शेर है हमसे बचके रहियो, चाहे बाकी पूरे साल पुलिस के डंडे खाके बैठ भी न पाता हो पर उस दिन अपनी “डेढ़ दिन की सुलतानियत” दिखाएंगे, जगह जगह शोर मचाएंगे, भीड़ लगाएंगे, कानून तोड़ेंगे और दुनिया को पैगाम देंगे की मुसलमान बनने के बाद हमारी ज़िन्दगी में यह बदलाव आया।
हैरत की बात है यह उसी इस्लाम के पैरोकार है जिसने सिखाया की, किसी दुसरे के द्वारा यदि रस्ते पर पत्थर रखा हो और आपने देख कर भी नहीं हटाया तो आप भी बराबर के ज़िम्मेदार है l
यह वही इस्लाम है जिसने सिखाया कि, आप कितने बड़े ही मुसलमान क्यों न हो यदि आपने सफ़र के दौरान किसी मुसाफिर को पानी देने से मना किया तो आपकी तरफ अल्लाह देखेगा भी नहीं l
इसी इस्लाम की इज़्ज़त की धज्जिया इस शबे बरात में उडाई जाएंगी.. देश का पेट्रोल जलाया जायेगा.
लोगो को इस हद तक मजबूर किया जायेगा कि जब भी वो मुसलमान को देखे तो नाक सिकोड़ ले l
अब बताइये इस्लाम के असल दुश्मन कौन.? किस्से इस्लाम बदनाम हुआ…?
हमसे नॉन मुस्लिम क्या सीख रहे है.? यही है हमारा इस्लाम..
.
सोचियेगा ज़रूर यदि आप उस रात बाइक लेकर जाने वाले है तो अपने दिल से पूछियेगा कि क्या यही खिदमत कर रहा हूँ मैं इस्लाम की…..
इससे बढ़िया कलमा पढ़ कर सो जाना और फज्र में उठ जाना l
मेरी अपील है मुस्लिम युवाओ से इस बार यह चलन बंद करे।
आप सहमत है तो शेयर करे l
क्योकि एक भी सुधर गया तो मेरे और आपके लिए सावाबे जारिया बन जायेगा !
शिफा इमरान इनकी फेसबुक वाल से.
दोस्तों यह जो कुछ भी लिखा है इस सच को इस बार झूठ साबित करे. क्यूंकि की बहुत ही कडवा सच है. हमारे युवाओ की मानसिकता कुछ इसी कदर होती जा रही है की, हम हम है, बाकी कोई नहीं. और हमारे युवा औरो की तरह खुदको शेर समझने लगे है. लेकिन वह इस बात को भूल गए की, शेर जानवर होता है. इंसानों का दुश्मन होता है. और शेर से इंसानों को नुक्सान होता है. चाहे वह जंगली हो या पालतू. इस्लाम हमें जानवर बनने को नहीं कहता है. हम इंसान ही ठीक है. और हमें जानवर बनकर किसी भी इंसान का नुक्सान नहीं करना चाहिए. इस बात का ख़याल रखने की अपील सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
संपादक, अहेमद कुरेशी
CITY TIMES