म्यांमार और रोहिंग्या मुसलमानों पर जो अत्याचार हो रहे हैं, वह सुनुयोजित षड्यंत्र का भाग है और इस विषय को मुसलमानों के जनसंहार और उनके विरुद्ध अत्याचारों के इतिहास में देखा जा सकता है। मुसलमानों ने पहली बार इस अत्याचार का अनुभव फ़िलिस्तीन और ज़ायोनियों के निर्दयी और आतंकवादी हमलों के दौरान किया और अब यह मामला म्यांमार में दोहराया जा रहा है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने म्यांमार में मुसलमानों के विरुद्ध अत्याचार के बारे में कहा कि आज की दुनिया अत्याचार की दुनिया है और अत्याचार से भरी दुनिया में ईरान अपना दृष्टिकोण गर्व से बयान करता है और ईरान अपने इस गर्व को जारी रखे कि वह दुनिया के अत्याचार ग्रस्तों का समर्थन करता है चाहे वह अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनियों की ओर से हो या चाहे वह यमन, बहरैन, म्यांमार या किसी और स्थान पर हो।
खेद की बात यह है कि म्यांमार में आंग सान सूची जब से सत्ता में आई हैं तब से इस देश के मुसलमानों की स्थिति बेहतर नहीं हुई बल्कि और भी बदतर हो गयी है। यह वह सच्चाई है जिसको अधिकतर विशेषज्ञ अनदेखा कर देते हैं या भुला देते हैं। म्यांमार में जो कुछ वह रहा है वह केवल एक लाख रोहिंग्या मुसलमानों का भविष्य नहीं है बल्कि इस्लाम और इस्लामी समाज के विरुद्ध षड्यंत्रों का एक क्रम है ताकि मुसलमानों पर आतंकवाद और चरपंथ का लेबल लगा सकें।