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इस पूरे मामले में सबसे गौर करने वाली बात यह है की अस्पताल में सैकड़ों डॉ
होने के बाद भी क्या धरती पर भगवान् कहे जाने वाले डॉक्टरों का दिल इतना
नही पसीजा की वो आगे आकर मरीजों की मदद कर सके, वो भला हो की डॉ कफील जैसे
देशभक्त डॉक्टर हमारे देश में मौजूद है.
होने के बाद भी क्या धरती पर भगवान् कहे जाने वाले डॉक्टरों का दिल इतना
नही पसीजा की वो आगे आकर मरीजों की मदद कर सके, वो भला हो की डॉ कफील जैसे
देशभक्त डॉक्टर हमारे देश में मौजूद है.
गोरखपुर – रात के दो बजे जब कर्मचारियों ने इंसेपेलाइटिस वार्ड के प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफ़ील अहमद को सूचना दी की अगले एक घंटे में ऑक्सिजन खत्म हो जाएगी, इतना सुनते ही डॉ कफील अहमद की नींद आँखों से ओझल हो गयी, आनन् फानन में वो अपनी गाड़ी लेकर मदद मांगने के लिए अपने डॉक्टर दोस्तों के पास चले गये और 3 जम्बो सिलिंडर लेकर वापस आये. रात के तीन बजे यह सिलिंडर सप्लाई के लिए लगाये गये लेकिन इनसे भी मात्र पंद्रह मिनट तक ऑक्सीजन सप्लाई हो सकी. सुबह लगभग साढ़े सात बजे फिर वार्ड में हंगामा मच गया, ऑक्सीजन खत्म होने के कारण मरीज दोबारा तड़पने लगे.
वहीँ अधिकारीयों से बात करने पर पता चला की ऑक्सीजन आने में अभी काफी देर है, वहीँ अपने उपर मुसीबात आई देख किसी बड़े अधिकारी ने फ़ोन तक नही उठाया. वार्ड की हालत इतनी ख़राब हो चुकी थी की ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी की समझ में कुछ नही आ रहा था और वो बेतहाशा इधर उधर भाग रहे थे. जिसके बाद डॉ कफील खुद अपनी कार लेकर निकल पड़े और जहाँ-जहाँ उनकी जान पहचान थी वहां से और प्राइवेट अस्पतालों में अपने मित्रों से लगभग 1 दर्जन सिलिंडर लेकर अस्पताल पहुंचवाए.
लेकिन हलात इतने ख़राब होने के कारण डॉ कफील समझ चुके थे की मात्र एक दर्जन सिलिंडरों से भी कुछ नही होगा, आनन् फानन में उन्होंने तमाम ऑक्सीजन सप्लायरों को फ़ोन लगाये जिनमे लगभग सभी ने साफ़ मना कर दिया लेकिन एक सप्लायर नगद भुगतान पर ऑक्सिजन रिफिल करने पर राज़ी हो गया चूँकि डॉ कफील अहमद के पास इतना वक़्त नही था की वो सरकारी कार्यवाही करके अस्पताल से भुगतान के लिए इंतज़ार करते उन्होंने अपनी जेब से एटीएम निकाल कर एक कर्मचारी को दौड़ाया और रुपए देकर ऑक्सिजन की व्यवस्था की इसके बाद फैजाबाद से आये सिलिंडरों से भरे ट्रक चालक को भी डीजल और दूसरे खर्चो की रकम अपनी जेब से देकर भेजा.
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