म्यानमारी आतंकवाद : सबसे बड़ा सबूत अल-कायदा, वल फायदा आतंकी संगठन इस्लामिक नहीं यहूदी है

Loading…

म्यानमार में लगातार मुस्लिम महिला, बुजुर्ग युवाओं और मासूम बच्चों को बेरहमी से काटा और जलाया जा रहा है. सारी दुनिया इस मामले में खामोश है. खुदको इस्लामिक बताने वाले अल-कायदा वगैरे यह सब यहूदियों के संगठन है. यह आतंकवादी सिर्फ वहीँ खून-खराबा करते है जहां इन्हें डॉलर मिलते है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सीरिया है. आतंकवादी संगठनो को इस्राईल फंडिंग करता है इस बात की पुष्टि कुछ दिन पहले यूनो ने भी की थी.अताक्वादी हो या आतंकवादी संगठन इनका किसी भी विशेष धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं. इनका सम्बन्ध सिर्फ डॉलर से है.



बड़ा खुलासा: म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर हिंसा के पीछे इजरायल का है हाथ ?

म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिम बहुल राखिने प्रांत में सेना और बौद्ध चरमपंथियों का अत्याचार लगातार जारी है. जिसके चलते अब तक 400 से ज्यादा की लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीँ 40000 से ज्यादा रोहिंग्या अपनी जान बचाकर बांगलादेश पहुंचे है. ये सिलसिला जारी है.

इसी बीच खुलासा हुआ है कि इस हिंसा के पीछे इजरायल का हाथ हो सकता है. दरअसल इजरायल का मार सरकार को सशस्त्र करने का कार्य जारी है. हाल ही में इजरायल के सुरक्षा विभाग के प्रमुख मिश बेन बारूख़ ने म्यांमार की यात्रा की थी.

इस बारें में खुलासा करते हुए इजरायल के समाचार पत्र हारेट्ज़ ने लिखा कि इस यात्रा के दौरान म्यांमार की सैन्य परिषद के अधिकारियों ने इजरायल से युद्धक नौकाएं ख़रीदने पर सहमति व्यक्त की थी. इन्ही नौकाओं का फिलहाल रोहिंग्या के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है.

इसी प्रकार म्यांमार की सैन्य परिषद के एक अधिकारी ने सितंबर 2015 में अपनी इजरायल यात्रा के दौरान ज़ायोनी शासन के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख से मुलाक़ात की थी. ऐसे में इस पुरे घटनाक्रम के पीछे इजरायल के होने की सम्भावना बढ़ जाती है.

गौरतलब रहे कि राखिने में म्यांमार सरकार ने सैन्य अभियान शुरू किया है. जिसके तहत रोहिंग्या मुस्लिमों को देखते ही गोली मारी जा रही है,


म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार ने वीभत्स रूप ले लिया है। चश्मदीदों के मुताबिक, पश्चिमी राखीन राज्य में बर्मा की सेना और पैरामिलिटरी फोर्स बच्चों के सिर काट रहे हैं और उन्हें जिन्दा जला रहे हैं। रोहिंग्या उग्रवादियों पर शिकंजा कसे जाने के बाद से करीब 60 हजार रोहिंग्या मुसलमान देश छोड़कर बांग्लादेश की सीमा में जा चुके हैं। जो लोग सेना के अत्याचार से बच गए उन्होंने हिंसा की भयावहता बताई है। अब्दुल रहमान (41) नाम के एक व्यक्ति ने बताया, ‘मेरे भाई को मार दिया गया। सैनिकों ने उसे समूह के साथ जिंदा जला दिया।’ अब्दुल ने बताया, ‘मैंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों के शव मैदान में पड़े देखे। उन्होंने उनके शरीर पर गोलियों से निशान बना दिए थे और कुछ के सिर कटे हुए थे।’ उन्होंने बताया, ‘मेरे दो भतीजों के सिर नहीं थे। एक छह साल का था और एक नौ साल का। मेरी पत्नी की बहन को गोली मार दी गई।’

अब्दुल की तरह एक और ग्रामीण सुल्तान अहमद (27) ने बताया, ‘कुछ लोगों के सिर काट दिए गए। सेनाएं जब हमारे पड़ोसी गांव के लोगों के सिर काट रही थी उस समय हम अपने घर में छुपे हुए थे।’ उन्होंने कहा, ‘जैसे हमने यह देखा, हम वहां अपने घर से तुरंत भाग निकले।’ बर्मन सेना से बच निकले कई लोगों की ऐसी ही कहानी है। ह्यूमन राइट वॉच (HRW) द्वारा जारी की गई सैटलाइट तस्वीरों में एक रोहिंग्या गांव की 700 इमारतों को आगे में झुलसते देखा जा सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि विस्थापित हुए लोगों की संख्या बढ़ सकती है। वहीं बर्मन सेना का कहना है कि अब तक 400 उग्रवादी मारे जा चुके हैं।
म्यांमार में हो रही हिंसा पर वैश्विक नेता भी बयान दे रहे हैं। ब्रिटेन के विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने कहा कि इस हिंसा का अंत होना चाहिए। उन्होंने म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सन सू की से अपील की इस हिंसा पर कार्रवाई करें। तुर्की के राष्ट्रपति रेजेप तैयब एर्दोआन ने एक कदम आगे जाते हुए कहा कि बर्मा की सेनाएं नरसंहार कर रही हैं और जो इससे अनदेखा कर रहे हैं इसमें सहापराधी हैं।
loading…
CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop