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सोशल डायरी स्टाफ
म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमो पर हो रहे जुल्म इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले है. लेकिन इसमें कोई कमी नहीं आ रही है.आपको बता दे म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्य है और किसी सत्ता पक्ष में नहीं बल्कि शत-प्रतिशत गरीबी में मजदूरी कर के अपनी जिंदगी बसर करते है. लेकिन यहाँके फिरौन की औलादों ने इनका जीना हराम कर सिया. उपरोक्त तर्वीर देखकर पत्थर को पसीना आ जाए लेकिन कोई भी नवाधिकार, माबाल संस्था, युनेस्को, यूनाइटेड नेशंस, मुस्लिम मुमालिक इस ज़ुल्म के खिलाफ नहीं बोलते। एलेन कुर्दी की फ़ोटो अपनी वाल पर चिपका कर मुसलमानो से सवाल करने वाले ढोंगी भी मुंह मे दही जमा के बैठे हैं, अमेरिकी दलाल मलाला पर लिख लिख कर अपनी कलम की स्याही सुखा देने वाले दलाल चादर में मुंह लपेट कर सो रहे हैं, उन सबको रोहिंग्या के ऊपर ज़ुल्म नहीं दिखता। शर्म से डूब मरो तुम सब!
अल्लाह रोहिंग्या मुसलमानो की मदद फरमा!
यह सर्द पानी पर पड़े जिस्म कहते कहते चले गए
कि ” खुश रहो अहले चमन हम तो सफर करते हैं”.
वह अन्तिम क्षणों तक पुकारते रहे कि
अरे कोई मसीहा इधर भी देखे
कोई तो चारा गरी को उतरे ?
उफ़क़ का चेहरा लहु में तर है
ज़मी जनाज़ा बनी हुई है
ज़मी जनाज़ा बनी हुई ।।।
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