लहू के दो रंग : मोदी सरकार अबतक की सबसे बकवास सरकार – पूनम लाल

लहू_के_दो_रंग_क्यूँ??
सब लोग पार्टी का मज़ा ले रहे थे….कि बात हँसी मजाक से हो कर मोदी पर आ गई… ‘अब तक की सबसे बकवास सरकार है….पहले तो नोटबंदी कर दी और अब योगी की सरकार आने के बाद तो और भी आफत….हम लोगों के सिर पर तो तलवार लटक रही है…अनुसूचित जाति होना ही गुनाह हो गया…’ लेकिन एक बात की तो तारीफ करनी पड़ेगी मोदी की…(एक मोहतरमा तेज आवाज में बोली)
और लोगों के साथ मैंने भी प्रश्न वाचक निगाहों से पूछा….”क्या”?????
वे बोलीं….कटुओं को अच्छा सबक सखाया…
मैं बोली…कैसे भाभी जी.!!!
अरे पूनम!!! ये मुसलमान बहुत कूद फाँद रहे थे…सबकी हेकड़ी उतार दी।
मैं फिर बोली..कैसे ????? वही तो पूछ रही हूँ…!!!!


 
अरे पूनम! पहले ये किसी से दबते नहीं थे…बात बात पर दंगा करना…पर मोदी के आने के बाद सब भीगी बिल्ली बने हैं…. और तो और मोदी को जिताने में मुसलमान औरतों का ही हाथ था..तीन तलाक का पाँसा बहुत काम आया….अब ठीक कर रहा है मोदी…..
अब मेरा दिमाग गर्म होने लगा था…क्योंकि बाकी लोग या तो हाँ में हाँ मिला रहे थे या मौन स्वीकृति दे रहे थे….

मैंने बोलना शुरू किया…

क्या आप किसी मुसलमान को जानती हैं जिसने आपका नुकसान किया हो??? हमारे डिपार्टमेंट में भी मुसलमान आफीसर…क्लर्क…चपरासी…ड्राइवर हैं….क्या इन्होंने कभी अभद्रता करी आपसे????

पूनम!!! वो सब तो ठीक है पर देखो स्वर्ग से खूबसूरत कश्मीर को नर्क बना दिया इन लोगों ने( बीच में ही बोल पड़ी..मेरी बात काट कर)

वहाँ रहता कौन है???(मैंने पूछा)मुसलमान ही न!!! तो नर्क का सुख किसे मिल रहा है????पैलेट गन का खूबसूरत नर्क…है न!!!!

हाँ तो हमारे सैनिकों को पत्थर मारना सही है??? (जल्दी से कुतर्क देते हुए)..


 
नहीं….(मै बोली) जिन लोगों के बच्चे पूरी जिंदगी अब रोशनी नहीं देख पाएँगे..उनकी हालत का अंदाजा है आपको??. … क्या किसी के घर में घुस कर उसे बीफ के लिए मार देना सही है???

रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या गलत थी….नजीब को गायब करना सही था क्या???? दलितों की चमड़ी उधेड़ना गलत था…और मुसलमानों को पहलूखान और जुनैद बनाना सही कैसे????

बिलकीस का रेप और त्रिशूल से उसका पेट फाड़ कर पाँच माह के बच्चे को टाँग दिया वो सही है????

जब अनुसूचित जातियों की बस्तियाँ जला कर राख कर दी जाती हैं…वो गलत है और जब मुसलमान की बेकरी में आग लगा कर ज़िन्दा लोगों को जला देते हैं तो वो सही है???? ये कैसा अहसास है जो धर्म के हिसाब से बदल जाता है???? जहाँ दलितों का खून लाल दिखाई देता है पर मुसलमानों का पानी!!!!

इसके बाद कुछ देर तक शान्ति छाई रही…..कोई किसी से बात नहीं कर रहा था….शायद वे अभी भी कन्फ्यूज़्ड थे कि उनके अंदर धर्म की जकड़न अधिक है या मुसलमानों के लिए नफरत????
पूनम_मिर्ची 
(यह लेखिका के निजी विचार है, सोशल डायरी का कोई सरोकार नहीं)

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CITY TIMES

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