शराबी, अय्याश, नापसंद पतियों को 7 जन्मो तक पत्नियों पर नहीं थोपता इस्लाम, खुला का अधिकार

फाइल फोटो
तीन तलाक और शरियत के समर्थन में आईं साढ़े तीन करोड़ मुस्लिम महिलाऐं
जयपुर – ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड महिला की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अस्मा जोहरा ने दावा करते हुए कहा कि तीन तलाक और शरीयत के समर्थन में पूरे देश से करीब 3.50 करोड़ फार्म मिले हैं। जोहरा ने रविवार को जयपुर के ईदगाह में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, व चुनौतियों पर आयोजित एक कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें शरीयत और तीन तलाक के समर्थन में देश भर की मुस्लिम महिलाओं की ओर से 3.5 करोड़ फार्म प्राप्त हुए है। इसका विरोध करने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है।
उन्होंने कहा कि सबसे कम तलाक के मामले मुस्लिम समाज में हैं, जबकि माहौल ऐसा बनाया जा रहा है जैसे सबसे ज्यादा तलाक ही मुसलमानों में हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक साजिश है ताकि मुसलमानों को बदनाम किया जा सके और महिलाओं के अधिकारों के नाम पर मुसलमानों के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ा जा सके। जोहरा ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को ऐसे वक्त में अपने अधिकारों को समझना बेहद जरूरी है ताकि वो खुद तो समझे ही, साथ ही सभी इल्जाम लगाने वालों को भी बता सकें कि इस्लाम और शरीयत में महिलाओं को सबसे ज्यादा अधिकार है। 

उन्होंने कहा कि शरीयत ही बेटियों को जायदाद में एक चौथाई हिस्से के लिए कहती है। शरीयत ही महिलाओं को अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिये पति से अलग होने का अधिकार देती है अन्यथा आजकल पत्नियों से छुटकारे के लिए बेटियों को जलाकर मार डालना आम बात है। कार्यशाला में प्रदेशभर की लगभग 20 हजार महिलाओं ने हिस्सा लिया।
बोर्ड के सदस्य यास्मीन फारूखी ने कहा कि तीन तलाक के मामले में महिलाओं की आड़ लेने की कोशिश इसलिये की जा रही है क्योंकि कुछ लोगों को लगता है कि मुस्लिम महिलाओं में शिक्षा की कमी है, इसलिए उन्हें आसानी से बेवकूफ बना दिया जाएगा। जबकि ऐसा है नहीं, मुस्लिम महिलाएं खुलकर शरीयत के समर्थन में आगे आई है, यही वजह है कि शरीयत पर सवाल खड़ा करने वाली अनभिज्ञ महिलाओं की तादाद पांच-दस से ज्यादा नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि अब जायदाद में बेटियों को हिस्सा दिलाना, दहेज, प्रताडऩा, शादी में खर्चे की मांग रोकना महिलाओं के अहम मुद्दे है। कार्यशाला में तीन तलाक के उपयोग को कम से कम करने पर जोर दिया गया। कुरान व संविधान में महिलाओं के हक पर चर्चा की गई।


CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop