उनके ऊपर ब्रिटिश सरकार ने 50 हजार रूपये का इनाम रखा गया था जिसकी लालच में पुवायां के राजा जगन्नाथ सिंह ने इन्हें अपने घर पर आमंत्रित करके उन्हें 5 जून 1858 को अंग्रेजों के हाथों गिरफ्तार करवा दिया। जिसके बाद उन्हें फांसी पर लटका दिया गया था।
मौलवी के बारे में तत्कालीन ब्रिटिश अफसर थाॅमस सीटन ने लिखा था
“ a man of great abilities of undaunted courage of stern determination and, by far, the best soldier among the rebels.
“ दृढ़ संकल्प तथा निडर साहस की महान क्षमताओं के साथ विद्रोहियों के बीच का सबसे अच्छा सैनिक”