देखो: कितनी आसानी से ईवीएम को छेड़छाड़ और हैक किया जा सकता है
ईवीएम EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine) में एक कंट्रोल यूनिट (control unit) होता है. एक बैलट यूनिट और 5 मीटर की केबल. ये मशीन 6 वोल्ट की बैटरी से भी चलाई जाती है. होता कुछ यूं है कि मतदाता को अपनी पसंद के कैंडिडेट के आगे दिया बटन दबाना होता है और एक वोट लेते ही मशीन लॉक हो जाती है. इसके बाद सिर्फ नए बैलट नंबर से ही खुलती है. एक मिनट में ईवीएम में सिर्फ 5 वोट दिए जा सकते हैं.
ईवीएम मशीन की विशेषताएँ.
ईवीएम मशीनें (EVM Machine) बैलट बॉक्स से ज्यादा आसान थीं, उनकी स्टोरेज, गणना आदि सब कुछ ज्यादा बेहतर था इसलिए इनका इस्तेमाल शुरू हुआ. लगभग 15 सालों से ये भारतीय इलेक्शन का हिस्सा बनी हुई है. ये सब सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन ईवीएम मशीनें काफी असुरक्षित भी होती हैं.
* ईवीएम मशीने (EVM Machine) आसानी हैक की जा सकती हैं.
* ईवीएम मशीनों(EVM Machine) के जरिए वोटर की पूरी जानकारी भी निकाली जा सकती है.
* इलेक्शन के नतीजों में फेरबदल किया जा सकता है.
* ईवीएम मशीन (EVM Machine) इंटरनली किसी इंसान द्वारा भी बदली जा सकती है. इसके आंकड़े इतने सटीक नहीं कहे जा सकते.
ईवीएम मशीनों को हैक (EVM Machine Hack) करने के लिए कई बार धमकी दी जा चुकी है. सिर्फ भारत ही नहीं कई देशों में ये हुआ है. हैकरों ने ईवीएम रिजल्ट(EVM Result) बदलने से लेकर वोटरों की जानकारी जगजाहिर करने तक की घमकी दी है. इसके अलावा, सिर्फ सिक्योरिटी के लिए ईवीएम का इलेक्शन सॉफ्टवेयर भी बदला जा चुका है. हालांकि, इसके बाद भी ईवीएम को हैक करना काफी आसान है।
* नीदरलैंड ने पारदर्शिता ना होने के कारण ईवीएम बैन कर दी थी.
* आयरलैंड ने 51 मिलियन पाउंड खर्च करने के बाद 3 साल की रिसर्च कर भी सुरक्षा और पारदर्शिता का कारण देकर ईवीएम को बैन कर दिया था.
* जर्मनी ने ईवोटिंग को असंवैधानिक कहा था क्योंकि इसमें पारदर्शिता नहीं है.
* इटली ने इसलिए ईवोटिंग को खारिज कर दिया था क्योंकि इनके नतीजों को आसानी से बदला जा सकता है.
* यूएस- कैलिफोर्निया और अन्य राज्यों ने ईवीएम को बिना पेपर ट्रेल के बैन कर दिया था.
* सीआईए के सिक्योरिटी एक्सपर्ट मिस्टर स्टीगल के अनुसार वेनेज्यूएला, मैसिडोनिया और यूक्रेन में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीने कई तरह की गड़बड़ियों के कारण इस्तेमाल होनी बंद हो गई थीं.
* इंग्लैंड और फ्रांस ने तो इनका उपयोग ही नहीं किया।
BJP के सुब्रमनियन स्वामी ने भी एक प्रोफेसर के साथ मिलकर ये दिखाया था कि ईवीएम मशीनों (EVM Machine) को कितनी आसानी से छेड़ा जा सकता है और नतीजे भी बदले जा सकते हैं. तो कुल मिलाकर जो मायावती जी कह रही हैं कि ईवीएम की जांच होनी चाहिए वो शायद इन्हीं सब कारणों से, लेकिन फिर भी कहने मात्र से ये साबित नहीं होता कि इलेक्शन 2017 में भी ईवीएम(EVM) से छेड़खानी हुई ही है।
कई तथ्य ऐसे हैं जो इस चुनाव में (EVM) के माध्यम से गड़बड़ी की ओर इशारा करता है । इस लिए यह आवश्यक है की जांच हो ताकि प्राकृतिक सच्चाई सामने आ सके।
(उपरोक्त खबर सोशल डायरी द्वारा सम्पादित नहीं है)
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